आचार्य चाणक्य की नीतियां और अनुमोल वचनों को जिसने जिंदगी में उतारा वो खुशहाल जीवन जी रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो इन वचनों और नीतियों को जीवन में ऐसे उतारिए जैसे पानी के साथ चीनी घुल जाती है। चीनी जिस तरह पानी में घुलकर पानी को मीठा बना देती है उसी तरह से विचार आपके जीवन को आनंदित कर देंगे। आचार्य चाणक्य के इन अनुमोल विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार है कि मनुष्य किस चीज से हार मान लेता है।
'बाहर की चुनौतियों से नहीं हम अपने अंदर की कमजोरियों से हारते हैं।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य कभी भी बाहर की चुनौतियों से नहीं हारता। वो उन चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर सकता है। वो तब हारता है जब उन चुनौतियों के सामने आते ही अपने आप को कमजोर समझने लगता है।
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असल जिंदगी में मनुष्य को जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग उन चुनौतियों के सामने डटकर खड़े रहते हैं। उनके चेहरे पर एक शिकन भी नहीं आतीं। वो ना केवल अपने आप को दिमाग से मजबूत करते हैं बल्कि चुनौतियों का किस तरह से सामना करें उसके लिए योजना भी बनाते हैं। अपने आप को ऐसे लोग अंदर से मजबूत रखते हैं। एक पल भी अपने दिमाग में ये नहीं आने देते कि वो इस चुनौती का सामना कैसे करेंगे।
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वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चुनौतियों का सामना करने से घबरा जाते हैं। वो अपने आप को अंदर से बहुत ज्यादा कमजोर समझने लगते हैं। यहां तक कि चुनौती का सामना करने से पहले ही हार मान लेते हैं। उन्हें लगता है कि वो चुनौती का किसी भी हालत में मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि बाहर की चुनौतियों से नहीं हम अपने अंदर की कमजोरियों से हारते हैं।
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