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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Chanakya Niti: इन 2 परिस्थितियों में मनुष्य को बिल्कुल नहीं लेना चाहिए फैसला, हो सकता है भारी नुकसान

Chanakya Niti: इन 2 परिस्थितियों में मनुष्य को बिल्कुल नहीं लेना चाहिए फैसला, हो सकता है भारी नुकसान

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए

Chanakya Niti- चाणक्य नीति- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Chanakya Niti- चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने दो परिस्थितियों में फैसला नहीं लेने को कहा है। 

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'अत्यंत गुस्से और दुख में कभी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।' आचार्य चाणक्य 

आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में मनुष्य को दो परिस्थितियों में फैसला लेने को मना किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों परिस्थितियों में फैसला लेना आप पर ही भारी पड़ सकता है। ये दो परिस्थितियां हैं- गुस्सा और दुख। इन दोनों पर एक-एक करके डीटेल में हम आपको बताएंगे।

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पहला है गुस्सा। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को कभी भी गुस्से में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गुस्से में सबसे पहले मनुष्य की बुद्धि काम करना बंद कर देती है। वो गुस्से में इतना चूर हो जाता है कि उसके सोचने और समझने की क्षमता पर सबसे पहले असर पड़ता है। ऐसे में वो अगर कोई फैसला लेगा तो ज्यादातर उसके खिलाफ ही जा सकता है। इसी वजह से गुस्से में किसी भी तरह का निर्णय लेने से बचना चाहिए।

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दूसरा है दुख। जिस तरह गुस्से में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है उसी तरह दुख में भी होता है। दुख में इंसान इतना ज्यादा डूब जाता है कि उसे किसी भी बात की गहराई समझ नहीं आती। ऐसे में अगर आप कोई फैसला लेंगे तो वो भी आपके ही विपरीत जा सकता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य को अत्यंत गुस्से और दुख में कभी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। 

 

 

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