आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार बेईमानी, धूर्तता और अन्याय से पैसा कमाने वालों पर आधारित है।
चाणक्य का नीति शास्त्र कहता है कि जो लोग अपनी भूख से ज्यादा खाना खाते हैं वो भी अमीर नहीं हो पाते हैं। जरूरत से ज्यादा खाना खाने से उनकी सेहत भी ठीक नहीं रहती है। इसके अलावा कड़वे वचन बोलने वाला व्यक्ति भी कभी अमीर नहीं हो सकता। माता लक्ष्मी उन लोगों पर कृपा नहीं करतीं जो दूसरों को दुखी करने वाली बातें कहते हैं। बोलने में कटुता के कारण ऐसे लोगों के दोस्त तो कम ही बन पाते हैं, लेकिन कई दुश्मन जरूर बन जाते हैं।
कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरभाषिणं च।
सूर्योदये चास्तमिते शयानं विमुञ्चतिश्रीर्यदि चक्रपाणि:।।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आसपास गंदगी का होना दरिद्रता लाता है। जो लोग अपने आसापास साफ-सफाई नहीं रखते हैं, साफ कपड़े नहीं पहनते हैं, उन पर माता लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। ऐसे लोगों को समाज में सम्मान भी नहीं मिलता है। इसके अलावा दांतों की सफाई न करने वाले भी गरीबी में जीते हैं
इस श्र्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो दांतों की सफाई नहीं करते हैं उन्हें गरीबी का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों पर माता लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। वहीं जो लोग रोजाना दांतों की साफ करते हैं उन पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
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