मनुष्य इस तरह से जिए जिंदगी कि सालों तक सुनाई दे गूंज
खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये मनुष्य को अपना जीवन किस तरह का बनाना चाहिए इस पर आधारित है।
'अपने जीवन को ऐसा बनाओ जहां पर शेर भी पानी पिए और बकरी भी...लेकिन सिर झुका कर।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य का जन्म हर किसी को ना जाने कितने बरसों बाद मिलता है। इसलिए हर मनुष्य को जिंदगी में ऐसे काम करने चाहिए कि उसकी गूंज दूर दूर तक सुनाई दे। जो व्यक्ति अपने जीवन में इस एक विचार को उतार लेगा उसका जीवन सफल है।
इस तरह के अपमान को झेल पाना है मुश्किल, बचकर निकलने में है भलाई
जीवन जीने के कई तरीके होते हैं और लोग अपने अपने अनुसार जीवन को जीते भी हैं। आचार्य का कहना है कि मनुष्य को अपने जीवन को ऐसा बनाना चाहिए कि हर जगह उसका नाम हो। ऐसा वो तभी कर सकता है जब वो अपने अंदर ऐसे गुणों को जगह दे जो काबिलेतारीफ हो। उदाहरण के तौर पर- बड़ों का सम्मान करना, छोटों को प्यार देना, हर किसी से अच्छे से बात करने के अलावा जीवन में कुछ ऐसा करना कि उससे सभी मनुष्य जाति को लाभ हो।
इन 3 बातों को जानने वाले मनुष्य पर कर सकते हैं आंख बंद करके भरोसा, कभी नहीं खाएंगे धोखा
जो व्यक्ति अपने अंदर इन सभी गुणों को समाहित कर लेता है उसका जीवन सफल कहलाता है। ऐसे व्यक्ति का ना केवल समाज में मान सम्मान बढ़ता है बल्कि सभी लोग इस तरह के इंसान की दिल से इज्जत करते हैं। जिस तरह पेड़ फल लदने के बाद थोड़ा झुक जाता है ठीक उसी तरह मनुष्य को अपने स्वभाव में कोमलता लानी चाहिए। इसी तरह के व्यक्ति को बलशाली और कमजोर दोनों ही तरह के मनुष्यों का प्रिय होता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अपने जीवन को ऐसा बनाओ जहां पर शेर भी पानी पिए और बकरी भी...लेकिन सिर झुका कर।