आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार शत्रु की सजा पर आधारित है।
'आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा आपका खुश रहना है।' आचार्य चाणक्य
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आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि आपके दुश्मन के लिए सबसे बड़ी सजा आपका खुश रहना है। अगर आप खुश रहेंगे तो सामने वाले के लिए उससे बड़ी तकलीफ कुछ नहीं होगी। ऐसा करके आप उसे ऐसी सजा देंगे जिसमें आवाज भी नहीं आएगी और आपका काम भी हो जाएगा। इतना जरूर है कि जब कोई व्यक्ति आपका बुरा चाहता है और आपको तकलीफ देता है तो उस वक्त खुश रहना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन अगर आपने ये मुश्किल काम कर लिया तो जो लोग आपको खुश देखेंगे वो उनके लिए सबसे ज्यादा कष्टकारी होगा।
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आपको तकलीफ देना वाला हमेशा यही चाहेगा कि आप दुखी रहो। अगर आप दुखी रहेंगे तो उसके मन की बात पूरी कर देंगे। अगर आप ऐसा नहीं चाहते हैं तो हमेशा खुश रहें। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी खुशी ही सामने वाले का दुख का सबसे बड़ा कारण बन सकती है। उसके मन में यही चलता रहेगा कि आखिर आप इतने खुश क्यों हैं। ऐसा करके ही आप सामने वाले को सजा दे पाएंगे और ये सजा वो जिंदगी भर याद रखेगा। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा आपका खुश रहना है।
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