मनुष्य को इस एक चीज की वापसी की किसी से भी नहीं करना चाहिए उम्मीद, हमेशा होंगे निराश
खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार किसी से उम्मीद नहीं करना चाहिए इस पर आधारित है।
'किसी से उम्मीद किए बिना उसका अच्छा करो, क्योंकि जो लोग फूल बेचते हैं उनके हाथ में अक्सर खूश्बू रह जाती है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को कभी भी किसी से उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उम्मीद एक ऐसी चीज है जो अगर आप किसी से भी लगा लें और वो पूरी ना हो तो सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। ये तकलीफ ऐसी होती है जिसे आप ना तो किसी के साथ साझा कर सकते हैं और ना ही इस तकलीफ से निजात पा सकते हैं।
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असल जिंदगी में मनुष्य को सबसे ज्यादा इस चीज का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में हम लोग कई लोगों से मिलते हैं। कुछ आपके परिवार के लोग होते हैं तो कुछ आपके दोस्त या फिर करीबी रिश्तेदार होते हैं। ऐसे कई मौके आते हैं जब हम लोग इन सभी से कभी ना कभी कुछ उम्मीदें लगा लेते हैं। जब आप ये देखते हैं कि सामने वाला ना तो आपकी बात को समझ रहा है और ना ही समझने की कोशिश कर रहा है तो आपको सबसे ज्यादा तकलीफ होती है।
लंबे वक्त तक कामयाबी हासिल करने के लिए हर मनुष्य को करना पड़ता है इस एक चीज का सामना
ऐसा इसलिए क्योंकि जाने अनजाने में आपने सामने वाले से ऐसी उम्मीद लगा ली जिसके बारे में सामने वाले को बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। कई बार सामने वाले को आपकी इस अनकही उम्मीद की जानकारी भी होती है लेकिन वो उसे पूरा करना नहीं चाहता। ऐसे में जब सामने वाला आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो आपको झटका लगता है। कई बार तो लोग भावनात्मक रूप से बहुत टूट जाते हैं। उन्हें कई बार इतनी तकलीफ होती है कि खुद को संभालना भी मुश्किल हो जाता है। लोगों को उस वक्त ऐसा भी लगता है कि हमने तो सामने वाले के साथ इतना अच्छा किया लेकिन समय आने पर वो उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि किसी से भी उम्मीद नहीं लगानी चाहिए। मनुष्य को हमेशा उस फूल वाले की तरह बर्ताव करना चाहिए जो सबको फूल बेचते हैं और उनके हाथ में फूल की खुश्बू रह जाती है। यानी कि फूल बेचने वाला कभी भी अपने पास फूल नहीं रखता। वो फूल लाता है और बेच देता है। लेकिन उसके मन में कभी भी ऐसी मंशा नहीं आती कि वो इन फूलों को बचाकर घर ले जाए। वो हमेशा यही सोचता है कि उसके लाए गए फूल सभी बाजार में अच्छे भाव में बिक जाए, ताकि उसकी आमदनी अच्छी हो। लेकिन सबकी जिंदगी को फूलों से महकाने वाला भले ही अपने पास फूल ना रखें लेकिन उसके हाथ में फूलों की खुश्बू हमेशा रहती है।