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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र 4 शब्दों से हमेशा रहें दूर, वरना मनुष्य अंदर से धीरे-धीरे हो जाएगा खोखला

4 शब्दों से हमेशा रहें दूर, वरना मनुष्य अंदर से धीरे-धीरे हो जाएगा खोखला

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार आज के समय में भी प्रासांगिक हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफलता चाहता है तो उसे इन विचारों को जीवन में उतारना होगा। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार मैं सब जानता हूं इस पर आधारित है।

'मैं सब जानता हूं। यही सोच इंसान को कुएं का मेंढक बना देती है।' आचार्य चाणक्य 

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि जिस दिन मनुष्य के अंदर ये बात आ गई कि वो सब कुछ जानता है उस दिन वो ये समझ जाए कि उसका पतन होना शुरू हो गया। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं सब जानता हूं में कहीं ना कहीं अहंकार झलकता है। अहंकार ऐसी चीज है जो किसी भी इंसान को अंदर से धीरे-धीरे खोखला कर देती है। 

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मनुष्य को अपने अंदर सीखने की चाहत कभी भी खत्म नहीं करनी चाहिए। ऐसा करके वो अपने अंदर से जिज्ञासा को खत्म कर देता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि जिंदगी में आपको हर चीज आती है। पूरी जिंदगी मनुष्य कुछ ना कुछ सीखता रहता है। मनुष्य हमेशा इस बात का ध्यान रखे कि आपको कोई चीज अगर ना पता हो और अगर आपसे कम उम्र के लोगों को पता हो तो उससे जानकारी लेने में कोई हर्ज नहीं है। ऐसा करके आप उससे छोटे नहीं हो जाएंगे। किसी से भी कुछ भी चीज सीखने में संकोच नहीं करना चाहिए। 

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कई लोग ऐसे होते हैं कि जो हमेशा यही दिखाते हैं कि उन्हें सबकुछ आता है। या फिर दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो उन्हीं ना आती हो। इसी वजह से उनके मन में मैं सब जानता हूं का भाव आ जाता है। धीरे-धीरे यही भाव अहंकार में बदलता जाता है। ऐसे में अगर आपको कोई चीज पता भी ना हो तब भी वो सीखने में संकोच कर जाता है। अगर आपके मन में भी इस तरह का भाव है तो इस भाव को दिमाग से तुरंत निकाल दें। आप कुएं में मौजूद उस मेंढक की तरह हो जाएंगे जिसकी जिंदगी कुएं की चार दीवारी ही हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मैं सब जानता हूं। यही सोच इंसान को कुएं का मेंढक बना देती है।

 

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