आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दोस्ती पर आधारित है।
'जो सही रास्ता ना दिखाए वो दोस्ती दुश्मनी से भी ज्यादा खतरनाक होती है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा दोस्ती सोच समझकर करनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मनुष्य के जीवन पर संगत का बहुत ज्यादा असर पड़ता है। दोस्त चाहे ऑफिस के हों या फिर घर के आसपास के या फिर स्कूल के दोस्त। अगर आप कहीं पर भी दोस्त बना रहे हैं तो उनका चुनाव करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका स्वभाव किस तरह का है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोस्तों से मनुष्य जीवनभर संपर्क में रहता है।
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किसी भी व्यक्ति से अगर आप लंबे वक्त तक संपर्क में रहें तो उसकी अच्छी बुरी आदतें आपको पता चल जाती हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि आप अपने दोस्त के स्वभाव से प्रभावित भी हो। ये जरूरी नहीं है कि मनुष्य सामने वाले की हमेशा अच्छी आदतों को ही अपने जीवन में उतारे। कई बार मनुष्य सामने वाले की बुरी आदतों को भी जीवन में ऐसे समा लेता है कि उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है।
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दोस्त हमेशा ऐसा होना चाहिए कि वो आपको सही राह दिखाए। वो आपको बताए कि आप क्या सही कर रहे हैं और क्या नहीं। सबकुछ देखकर आंखें बंद कर लेना वाला दोस्त खतरनाक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो आपका दोस्त होने का तो दावा कर रहा है लेकिन दोस्ती ठीक तरह से निभाने से बच रहा है। यानी सही रास्ता जानते हुए भी आपको गलत रास्ते की ओर बढ़ते देख ऐसा करने दे रहा है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो सही रास्ता ना दिखाए वो दोस्ती दुश्मनी से भी ज्यादा खतरनाक होती है।
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