आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार सोचने समझने पर लोगों की कमजोरियों का पता चलता है इस पर आधारित है।
"मंत्रणा रूप आंखों से शत्रु के छिद्रों अर्थात उसकी कमजोरियों को देखा-परखा जाता है।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य विचार करने से भी किसी की भी कमजोरियां का पता लगा सकता है। फिर चाहे वो शत्रु ही क्यों न हो। इसमें अहम भूमिका आंखों की होती है। मनुष्य की आंखें उसके दिल का हाल बयां कर देती हैं ये तो आपने कई बार सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है इन्हीं आखों से किसी भी की कमजोरियों को देखा और परखा भी जा सकता है।
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जब भी हम लोग किसी से मिलते हैं तो उसे और जानने की इच्छा होती है। हर बार ऐसा मुनासिब नहीं है कि आपको उससे बात करने का ज्यादा मौका मिले। ऐसे में आंख ही है जिसके द्वारा हम लोग उस व्यक्ति की अच्छाई और बुराई दोनों का पता लगा सकते हैं। मनुष्य अपनी जुबां से फिर भी झूठ बोल सकता है लेकिन आंख सच का आइना होती हैं। आंखों से कुछ भी छुपाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होता है।
इसीलिए अचार्य चाणक्य ने कहा है कि अगर आपको शत्रु की कमजोरियां का पता लगाना हो तो आंखें ही उसका जरिया है। किसी भी काम के प्रति आत्म विश्वास हो या फिर काम को करने से पहले का डर सभी कुछ मनुष्य की आंखों में झलक ही आता है। बस आपको सामने वाली आंखों को पढ़ने की कला आनी चाहिए। हालांकि आंखों को पढ़ना इतना मुश्किल भी नहीं होता। आपको बस थोड़ा ध्यान देने की जरूरत होती है।
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