खाने में नमक की तरह होती हैं सच्चे दोस्त की कड़वी बातें, नहीं मिला साथ तो..
खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार सच्चे दोस्त पर आधारित है।
'नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है। इतिहास गवाह है कि आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़ते।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि सच्चा मित्र वही होता है जो आपको जीवन की सच्चाई से रूबरू करवाए। साधारण तौर पर मनुष्य की जिंदगी में कई दोस्त होते हैं। कुछ दोस्त सिर्फ नाम के होते हैं यानी कि सिर्फ उंगलियों के पोरों पर आप उन्हें गिन सकते है्ं। वहीं कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो दिल के करीब होते हैं।
आजकल की बिजी लाइफ में हम लोग कई लोगों से मिलते हैं। कुछ दोस्त सिर्फ नाम के दोस्त होते हैं तो कुछ दोस्त असल में आपके दोस्त होते हैं। यानी कि कुछ दोस्त आपके सुख और दुख के साथी होते हैं तो कुछ सिर्फ नाम के ही मित्र होते हैं। आचार्य चाणक्य का कहना है कि असली दोस्त वही होता है जो आपकी गलतियों को आपको बताएं। आपको समझाएं। ऐसे में उस दोस्त की बातें हो सकती हैं भले ही आपको कड़वी लगें। लेकिन दोस्त के कड़वे बोल में आपके लिए ऐसा ज्ञान होगा जो आपकी जिंदगी भर मदद करेगा।
वहीं दूसरी ओर कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो आपकी गलतियां की भी तारीफ करते हैं। ये वही दोस्त होते हैं जिन्हें आपके अच्छे और बुरे से कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे दोस्त ज्यादातर लोगों की जिंदगी में होते हैं। जिन्हें आप दोस्तों के नाम पर उंगलियों पर गिनती में काउंट जरूर कर सकते हैं। लेकिन ये दोस्त सिर्फ नाम के ही दोस्त होते हैं। असल जिंदगी में इन्हें आपकी किसी भी चीज से कोई मतलब नहीं होता है। ऐसे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला व्यक्ति की आपका सच्चा मित्र होता है। इतिहास गवाह है कि आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़ते।
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