आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार कौन किसने दिल के कितने करीब है इस पर आधारित है।
'जो हमारे दिल में रहता है, वो दूर होके भी पास है लेकिन जो हमारे दिल में नहीं रहता वो पास होके भी दूर है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि जरूरी नहीं हैं कि जो लोग आपके पास रहते हों वो आपके दिल के करीब हो। दरअसल, असल जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि जो लोग आपको आसपास रहते हों वो आपको दिल के करीब हो ये जरूरी नहीं हैं। कई बार ऐसा होता है कि लोग भले ही आपके पास रहते हों लेकिन उनसे आपके दिल के तार कभी भी नहीं जुड़ते। फिर चाहे आप उनके रोज मिलते हो या फिर रोज घंटों बैठकर बात भी क्यों ना कर लें।
वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जो भले ही आपसे दूर हों लेकिन उनसे दिल के तार आपसे जुड़े रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग दूर रहकर भी आपको अपने पास होने का एहसास दिलाते रहते हैं। इन लोगों के सोचने और समझने का तरीका भले ही सामने वाले से अलग हो लेकिन कुछ तो ऐसा होता है जो इन दोनों लोगों को आपस में जोड़े रखता है।
ये लोग दूर रहकर भी एक दूसरे के दिल का हाल चुटकियों में समझ जाते हैं। यहां तक कि कई बार तो आपकी आवाज से ही ये लोग आपको दिल का हाल भी जान लेते हैं। उदाहरण के तौर पर कई बार परिवार में करीबी रिश्तेदारों से आपके दिल का वो तार नहीं जुड़ पाता जो दूर के रिश्तेदार से जुड़ जाता है। दूसरों को ये देखकर थोड़ा अटपटा भी लग सकता है लेकिन सच यही है कि जो हमारे दिल में रहता है वो दूर होके भी पास है। वहीं जो हमारे दिल में नहीं रहता वो पाक होके भी दूर है।
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