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जरूरत के अनुसार न किया जाए ये काम, तो जिंदगी भर भुगतता है इंसान, दांव पर लग जाती है हर चीज

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Chanakya Niti:जरूरत के अनुसार न किया जाए ये काम, तो जिंदगी भर भुगतता है इंसान, दांव पर लग जाती है हर- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Chanakya Niti:जरूरत के अनुसार न किया जाए ये काम, तो जिंदगी भर भुगतता है इंसान, दांव पर लग जाती है हर चीज, Chanakya Niti for Peace Happiness and Successful Life Chanakya Niti Quotes lifestyle news

आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों को जिसने भी जीवन में जगह दी वो सफलता के पथ पर अग्रसर है। अगर आप भी सफलता के मार्ग पर चलना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य के इन विचारों को जीवन में गांठ बांध लें। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार आवश्कयता के अनुसार साधन जुटाने पर आधारित है।

"दूध के लिए हथिनी पालने की जरुरत नहीं होती अर्थात आवश्कयता के अनुसार साधन जुटाने चाहिए।" आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि अगर आपको दूध की जरूरत है तो इसके लिए आपको हथिनी या फिर गाय पालने की जरूरत नहीं है। जरूरत के मुताबिक ही साधन को जुटाना ठीक होता है। आचार्य चाणक्य अपने इस कथन में कहना चाहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को दूध की जरूरत है तो वो चंद पैसे देकर बाजार से आसानी से खरीद सकता है। इसके लिए उसे दूध की डेयरी खरीदने की जरूरत नहीं है। ऐसा करके वो जो दूध चंद पैसे देकर खरीद रहा था उसे डेयरी के लिए मोटी रकम खर्च करनी होगी। इसी वजह से सामान को हमेशा जरूरत के हिसाब से ही खरीदना चाहिए।

मनुष्य की प्रवृत्ति यही होती है कि वो जो भी नई चीज बाजार में देखता है तो उसे वो खरीदने का मन करता है। अब जब बाजार में नई चीज आई है तो लाजमी है कि उसकी कीमत भी ज्यादा होगी। इंसान उस चीज को खरीदने के लिए अपना मन बना लेता है। ऐसे में वो एक बार भी ये नहीं सोचता कि इस चीज की उसे जरूरत है या फिर नहीं। बस वो उस चीज को पाने के लिए वो सब कुछ करता है जो वो कर सकता है। कई बार वो चीज वो पा भी लेता है लेकिन घर लाने पर वो चीज बिना इस्तेमाल किए पड़ी रहती है। 

अब आप खुद सोचिए इस तरह से बिना जरूरत के लिए किसी सामान को खरीदना कितना सही है। बिना जरूरत के इस सामान के प्रति इंसान का क्रेज सिर्फ कुछ दिन तक के लिए रहता है। बाद में वो सामान उसके घर के किस कोने में पड़ा है उसे होश तक नहीं रहता। इसका दूसरा उदाहरण दूसरे के घर में कोई चीज देखकर उसे खरीदना की इच्छा होना है। भले ही वो चीज उसके जरूरत की नहीं है फिर भी वो उसे खरीदने के लिए पैसा खर्च कर देता है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि इस तरह की फिजूलखर्ची करना ठीक नहीं है। ये जीवन में तकलीफ दायक हो सकता है। 

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