बच्चों को हमेशा करना चाहिए ये काम, ताकि पिता कर सकें फक्र
खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दौलत पर आधारित है।
'पिता की दौलत पर क्या घमंड करना, मजा तो तब है जब दौलत आपकी हो और आपके पिता उस पर घमंड करे।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को कभी भी पिता की दौलत पर घमंड नहीं करना चाहिए। वो पल ज्यादा अच्छा होगा जब दौलत आपके द्वारा कमाई गई हो और आपके पिता उस पर घमंड करे। इस लाइन में आचार्य चाणक्य बच्चों को ये शिक्षा देना चाहते हैं कि हर किसी को अपनी जिंदगी में इतनी मेहनत करनी चाहिए कि माता पिता उस पर गर्व करें।
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कई बार ऐसा होता है कि माता पिता के पास अथाह संपत्ति देखकर बच्चे घमंड करने लगते हैं। उनका ये घमंड कई बार इतना होता है कि उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ये पैसा उनके पिता ने नहीं बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत से कमाया है। हालांकि अपनी मेहनत से कमाई संपत्ति पर माता पिता बिल्कुल सामान्य व्यवहार करते हैं। उनमें आप बिल्कुल भी घमंड नहीं देखेंगे। वहीं उनके बच्चे कई बार घमंड में इचने चूर हो जाते हैं कि अपने सामने किसी भी दूसरे व्यक्ति को कुछ नहीं समझते।
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आचार्य का कहना है कि बात तो तब है जब पैसा आपने कमाया हो और आपके पिता सीना चौड़ा करके कह सके कि ये मेरा बेटा है। दरअसल, हर माता पिता चाहते हैं कि जीवन में उनका बेटा हो या बेटी दोनों ही इतनी तरक्की करें कि उनसे आगे निकल जाए। बच्चों को अपने आप से आगे निकलता हुआ देख वो अपने आपको को गौरवान्वित महसूस करते हैं। आपकी मेहनत से कमाई दौलत पर वो फक्र से कह सके कि ये मेरे बच्चों ने कमाया है। उस वक्त माता पिता की आखों में जो चमक होगी वो चमक अपने बच्चों पर फ्रक की होगी। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पिता की दौलत पर क्या घमंड करना, मजा तो तब है जब दौलत आपकी हो और आपके पिता उस पर घमंड करे।