आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये अपनी गलती स्वीकार कर लेनी चाहिए इस पर आधारित है।
'अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो थोड़ा अजीब लगता है लेकिन स्वंय को चमकदार और साफ कर देती है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा अपनी गलती स्वीकार कर लेनी चाहिए। अपनी गलती को स्वीकार करने वाला व्यक्ति जीवन में हमेशा तरक्की करता है। ऐसा इसलिए जो व्यक्ति अपनी गलती दूसरों के सामने स्वीकार करता है उसकी वजह से उसका व्यक्तित्व और निखर कर आता है।
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असल जिंदगी में जरूरी नहीं है कि मनुष्य जो भी काम करे वो एकदम सही हो। कई बार लोग ऐसी गलती कर जाते हैं कि उनसे उस गलती की उम्मीद ही नहीं होती है। कुछ लोग उस गलती को छिपाने में अपनी भलाई समझते हैं तो कुछ उस गलती को स्वीकार करना ही सही समझते हैं। ऐसे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति अपनी गलती स्वीकार कर लेता है उसका व्यक्तित्व और निखर कर सामने आता है।
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अपनी गलती को स्वीकार करने से कोई भी व्यक्ति छोटा नहीं होता। ऐसा करने के लिए दिल और दिमाग दोनों से ही खुली सोच का होना चाहिए। कई बार लोग अपनी गलती इसलिए दूसरों के सामने स्वीकारते नहीं है कि सामने वाला उनके बारे में क्या सोचेगा। हालांकि वो इस बात को भूल जाते हैं कि अपनी गलती को स्वीकार करने वाला व्यक्ति कभी भी छोटा नहीं होता। ऐसा करने से वो व्यक्ति ये दर्शाता है कि उसकी सोच कितनी साफ है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो थोड़ा अजीब लगता है लेकिन स्वंय को चमकदार और साफ कर देती है।
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