बुद्ध पूर्णिमा आज: 297 साल बाद बन रहा बुधादित्य योग, करें ये काम
यह महासंयोग 10 मई बैसाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) पर पड़ रहा है। इससे पहले 22 अप्रैल 1720 को बुधादित्य योग पड़ा था। वैशाख में बृहस्पति का संबंध, मंगल, शनि व शुक्र के साथ दुर्लभ होता है। जानिए आज कौन से काम करना होगा शुभ...
धर्म डेस्क: वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन बुद्ध जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 10 मई, बुधवार को है।ये भी पढ़े: (भूलकर भी इन जगहों पर न बनाएं शारीरिक संबंध, पड़ सकता है भारी)
यह महासंयोग 10 मई बैसाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) पर पड़ रहा है। इससे पहले 22 अप्रैल 1720 को बुधादित्य योग पड़ा था। वैशाख में बृहस्पति का संबंध, मंगल, शनि व शुक्र के साथ दुर्लभ होता है। सालों बाद ऐसी स्थिति बन रही है। इस बार यह संयोग शनि की गणना तथा बृहस्पति के वक्रत्व काल से बना है। ज्योतिषचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आप का दिन बिजनेस मैन के लिए बहुत ही अच्छा है।
पूर्णिमा तिथि पर सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होने से पवित्र नदियों में स्नान, ब्राह्मण को दान, पितरों के निमित्त पूजन, घट दान, यम के निमित्त लोहे की वस्तु, वस्त्र भूमि आदि दान-पूजन का कई गुना अधिक फल मिलेगा।
पुराणों में माना जाता है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु का ही अवतार है। जानिए इस दिन क्या करना शुभ होगा। ये भी पढ़े:(जानिए, आखिर एक रात को क्यों जिंदा हो गए थे कुरुक्षेत्र में मारे गए शुरवीर?)
- बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म का उत्सव होने के साथ-साथ के साथ-साथ ये भारतीय परंपरागत का पावन त्यौहार है। माना जाता है कि इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते है। क्योंकि इस त्यौहार को बहुत ही पवित्र और फलदायी माना गया है।
- इस दिन कुछ मीठा दान करने से गौदान को दान करने के बराबर फल मिलता है। इसके अलावा अगर आपसे अनजाने में कोई पाप हो गया है तो इस दिन चीनी और तिल का दान देने से इस पाप से छुटकारा मिल जाता है। जानिए इस दिन पूजा कैसे करते है।
- इस दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु के प्रतिमा के सामने घी से भरा पात्र रखें। इसके साथ ही तिल और चीनी भी रखें। फिर तिल के तेल से दीपक जलाएं और भगवान की पूजा करें।
- इस दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को कलरफूल पताकाएं और हार से सजाया जाता है। साथ ही जड़ो में दूध और सुगंधित जल डाला जाता है। साथ ही दीपक जलाएं जाते है।
- इस दिन भूलकर भी नॉनवेज का सेवन न करें, क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
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