Bhai Dooj 2019: 29 अक्टूबर को भाई दूज, जानें तिलक करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
भाई दूज का त्योहार दीपावली के तीसरे दिन बाद मनाया जाता है। इस खास पर्व में बहनें अपने प्यारे भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उसके उज्ज्वल भविष्य और लंबी आयु के लिए कामना करती हैं |
Bhai Dooj 2019: कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और मंगलवार का दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। इसे 'भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया' के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज का ये त्योहार दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस खास पर्व में बहनें अपने प्यारे भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उसके उज्ज्वल भविष्य और लंबी आयु के लिए कामना करती हैं | इस बार भाई दूज का त्योहार 29 अक्टूबर, मंगलवार के दिन पड़ रहा है।
इस त्योहार का विस्तृत वर्णन भविष्योत्तर पुराण के अध्याय-14 के श्लोक 18 से 73 तक, हेमाद्रि व्रत भाग- 1 के पृष्ठ- 384 और 385 पर, काल तत्व विवेक के पृष्ठ- 405 पर, वर्षक्रिया कौमुदी के पृष्ठ- 476 से 478 तक, तिथि तत्व के पृष्ठ- 29, निर्णय सिंधु के पृष्ठ- 203 और पृष्ठ तत्व के पृष्ठ- 453 पर मिलता है।
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भाई की बहनों के घर जाकर भोजन करने की है परंपरा
भाई दूज के दिन भाई द्वारा अपनी बहन के घर में भोजन करने की परंपरा है। ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण में भी आया है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता और उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानी हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है और उसका कल्याण होता है | लेकिन अगर आपकी अपनी बहन न हो तो चाचा, बुआ या मौसी की बेटी को अपनी बहन मानकर उसके साथ भइया दूज मनाना चाहिए और अगर वो विवाहित है तो उसके घर जाकर भोजन करना चाहिए।
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भाई दूज का शुभ मुहूर्त
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार ये है शुभ मुहूर्त-
द्वितीया तिथि प्रारंभ: सुबह 06 बजकर 13 मिनट से (29 अक्टूबर)
द्वितीया तिथि समाप्त: सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक (30 अक्टूबर)
भाई दूज अपराह्न समय: दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 26 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 14 मिनट
भाई दूज के दिन बहनें इस तरह करें पूजा
भाईदूज के दिन सभी बहनें सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें। इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें | इसके साथ ही घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और गोबर से बिल्कुल छोटे-छोटे उपले बनाकर उसके चारों कोनों पर रखें और पास ही में पूजा की थाली भी रख लें। अब उस आकृति के पास भाई को आसन पर बिठा दें और भाई से कहें कि वो अपने सिर को रूमाल से ढक ले। अब दीपक जलाएं और भाई दूज की कथा सुनें। फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं और उसे मिठाई खिलाएं। साथ ही भाई को नारियल दें। इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दें। इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है।
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भाई दूज के दिन करें ये भी काम
इस दिन बिहार में दवात पूजा की परंपरा है। भइया दूज की पूजा के दौरान कलम की पूजा भी जरूर करनी चाहिए और पूजा के बाद श्री चित्रगुप्त को स्मरण करना चाहिए। साथ ही उनसे हाथ जोड़कर उस कलम को आशीर्वाद के रूप में प्राप्त करने का भाव करना चाहिए | इस प्रकार पूजा की गई कलम अमोघ हो जाती है | उस कलम से लिखने पर दैवीय सहायता प्राप्त होती है और आपको अपने कार्यों में सफलता मिलती है। आप चाहें तो एक से ज्यादा कलम की पूजा भी कर सकते हैं और आने वाले पूरे साल उससे काम करके लाभ पा सकते हैं। इसके अलावा दीपावली की रात जो किताब आपने पढ़कर बंद की थी, उसे आज के दिन खोलना चाहिए और उसकी रोली-चावल से पूजा करनी चाहिए। उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर या 'श्री गणेशाय नम:' लिखकर श्री गणेश भगवान का ध्यान करना चाहिए और उन्हें प्रणाम करके पढ़ना चाहिए।