नई दिल्ली: कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज मनाया जाता है। यह दीपावली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई को अपने घर बुलाकर या उनके घर जाकर उन्हें तिलक करके खाना खिलाती हैं। इस बार यह त्योहार 1 नवंबर को है।
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हिन्दू धर्म में भाई -बहन के स्नेह व सौहार्द का प्रतीक यह पर्व दीपावली दो दिन बाद मनाया जाता है यह दिन, क्योंकि यम द्वितीया भी कहलाता है। इसलिये इस पर्व पर यम देव की पूजा भी की जाती है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन जो यम देव की उपासना करता है, उसे असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।
माना जाता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में अगर भाई और बहन साथ में यमुना नही में स्नान करें तो भाई और वहन का हमेशा रिश्ता बना रहता है और भाई की उम्र बढती है। यमुना तट पर भाई-बहन का समवेत भोजन कल्याणकारी माना जाता है। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लम्बे और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार प्रदान करते हैं। भाई दूज को भाऊ बीज और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
शुभ मुहूर्त
सुबह: 6 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर15 मिनट तक
दोपहर से पहले: 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 06 मिनट तक
दोपहर बाद: 2: बजकर 57 मिनट से शाम 5 बजकर 47 मिनट तक
शाम: 7 बजकर 22 मिनट से 12 बजकर 6 मिनट तक
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