7 अप्रैल को भाद्रा, जानिए क्या है यह और क्यों माना जाता है इसे अशुभ
आज हम बताएंगे कि आखिर भद्रा क्या है और कब यह शुभ होती है और कब अशुभ। साथ ही भद्रा के दौरान कौन-से कार्य किये जा सकते हैं और कौन-से कार्य नहीं किये जा सकते।
ये काम करने की है मनाही
आपको यहां बता दूं कि अशुभ भद्रा के दौरान विवाह संस्कार, मुण्डन संस्कार, गृह-प्रवेश, यज्ञोपवित, नया बिजनेस आरंभ, किसी शुभ कार्य के लिये यात्रा, त्योहार आदि के समय किये जाने वाले रिति-रिवाज आदि नहीं करने चाहिए। हालांकि कुछ ऐसे कार्य भी हैं, जिन्हें भद्रा के दौरान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। किसी पर मुकदमा करने के लिये, शत्रु पक्ष से मुकाबले के लिये, राजनीतिक कार्य़ के लिये, सीमा पर युद्ध के लिये, ऑप्रेशन के लिये, अग्नि से संबंधित कार्य, किसी भी तरह के वाद-विवाद के लिये,शस्त्र आदि के प्रयोग के लिये, पशु संबंधी कार्यों के लिये, वाहन खरीदने के लिये, दाम्पत्य संबंधों की ऊष्मा को बनाये रखने के लिये और तंत्र-मंत्र के प्रयोग के लिये भद्रा बड़ी ही प्रशस्त मानी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार जिस दिन भद्रा हो और यदि उसी दिन आपको कोई शुभ कार्य करना पड़ जाये, तो उस दिन आपको उपवास अवश्य करना चाहिए। साथ ही भद्रा के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को भद्रा के दिन सुबह उठकर भद्रा के बारह नामों का स्मरण करना चाहिए। भद्रा के बारह नाम इस प्रकार हैं-
धन्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली और असुरक्षयकारी भद्रा के इन बारह नामों का स्मरण करने और उनकी पूजा करने वाले को भद्रा कभी परेशान नहीं करतीं।
इन नामों से भी जाना जाता है भाद्रा को
हूर्त ग्रंथ के अनुसार शुक्ल पक्ष की भद्रा बृश्चिकी तथा कृष्ण पक्ष की भद्रा सर्पिणी कहलाती है। बृश्चिकी भद्रा के पुच्छ भाग में और सर्पिणी भद्रा के मुख भाग में किसी प्रकार का मंगल कार्य नहीं करना चाहिए। आज 7 अप्रैल को पाताल लोक की वैशाख कृष्ण पक्ष की सर्पिणी भद्रा है, हालांकि इस भद्रा का मुख काल कल रात को ही खत्म हो चुका है और फिलहाल भद्रा पुंछ भाग में है। अतः आप आज के दिन अपना कोई भी कार्य कर सकते हैं।
भृगुसंहिता में भद्रा को वार के अनुसार बांटा गया है। भृगुसंहिता के अनुसार सोमवार और शुक्रवार की भद्रा कल्याणकारी, गुरुवार की पुण्यकारी, शनिवार की बृश्चिकी और मंगलवार, बुधवार तथा रविवार की भद्रा भद्रिका होती है। लिहाजा मंगलवार, बुधवार, शनिवार, रविवार की भद्रा अशुभ होती हैं,
जानिए कब की है भाद्रा अशुभ
जबकि भद्रा अगर सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन पड़े, तो उसका कोई दोष नहीं लगता, यानी भृगुसंहिता के अनुसार अप्रैल और मई में पड़ने वाली पृथ्वी लोक की भद्रा की चार तिथियों में से 10 मई को गुरुवार और 21 मई को सोमवार होने के चलते पृथ्वी लोक की ये दोनों अशुभ भद्राएं भी शुभ हो गई हैं। अतः अप्रैल और मई के दौरान 14 अप्रैल और 22 अप्रैल को छोड़कर आप अन्य किसी भी भद्रा के दौरान अपने शुभ कार्य बिना किसी बाधा के कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि भद्रा मुख और भद्रा पूंछ देखना न भूलें।