नई दिल्ली: बौद्ध धर्म से जुड़े हुए तमाम प्रसंग बड़े ही लोकप्रिय हैं। इन्हीं में से एक प्रसंग लॉफिंग बुद्धा का है। यह प्रसंग जापान के होतेई नाम के एक सज्जन से जुड़ा हुआ है जो आगे चलकर लॉफिंग बुद्धा के रूप में दुनियाभर में मशहूर हुए। बताया जाता है कि होतेई ने जब बौद्ध धर्म ग्रहण किया तो वह उसमें बड़ी गहराई से डूब गए।
होतेई ने बड़ी ही तपस्या के साथ आत्मज्ञान हासिल किया। कहते हैं कि जैसे ही उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई वह जोर-जोर से हंसने लगे। इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवन का यह लक्ष्य बना लिया कि वह लोगों को हमेशा हंसाते रहेंगे। इसके बाद उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों का भ्रमण किया और लोगों को खूब हंसाया। यहीं से उनका नाम ‘लॉफिंग बुद्धा’ (यानी कि हंसते हुए भगवान बुद्ध) पड़ गया।
ऐसा कहा जाता है कि धीरे-धीरे लॉफिंग बुद्धा को मानने वालों की संख्या काफी अधिक हो गई। और दुनियाभर के लोगों ने लॉफिंग बुद्धा में अपनी आस्था प्रकट की। बताते हैं कि आज दुनियाभर में लॉफिंग बुद्धा को मानने वालों की संख्या करोंड़ों में है। चीन में भी बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और यहां पर भी लॉफिंग बुद्धा के ढेरों फॉलोअर्स हैं। बता दें कि लॉफिंग बुद्धा को चीन में पुतई नाम से जाना जाता है। चीन के लोगों ने पुतई यानी कि लॉफिंग बुद्धा से जीवन में हंसने की महत्ता का ज्ञान हासिल किया है।
आसान से शब्दों में कहें तो लॉफिंग बुद्धा को हंसने का यानी कि खुशियों का प्रतीक माना जाता है। लॉफिंग बुद्धा ने संसार को हंसने और खुश रहने का ज्ञान दिया है। यही वह है कि लोग उनकी मूर्ति को घर में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि लॉफिंग बुद्धा के होने से घर में खुशियां आती हैं। घर के सदस्यों के बीच का क्लेश समाप्त होता है और सभी लोग मिलजुलकर प्यार के साथ रहते हैं। इस तरह से लॉफिंग बुद्धा हमें काफी पहले ही हंसने और खुश रहने की महत्ता के बारे में बता चुके हैं।
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