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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र जिंदगी में जोश भर देंगी अटल बिहारी वाजपेयी की ये कविताएं, एक-एक कविता सिखाती है जीने का तरीका

जिंदगी में जोश भर देंगी अटल बिहारी वाजपेयी की ये कविताएं, एक-एक कविता सिखाती है जीने का तरीका

अटल जी तो इस दुनिया में अब नहीं हैं लेकिन उनकी कविताएं आज भी लोग के दिलों में उनकी याद तो ताजा कर देती हैं। अटल जी की पुण्य तिथि पर पढ़िए उनकी ये शानदार कविताएं...

<p>Atal Bihari Vajpayee </p>- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Atal Bihari Vajpayee 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है। अपने उसूलों और विचार से अटल जी ने केवल भारत बल्कि विदेशों में भी ख्याति मिली। राजनीति में नुपुण होने के साथ-साथ अटल जी मशहूर कवि भी थे। अटल जी ने कई बार सदन तो कई बार भाषण के दौरान अपनी रोचक कविताएं सुनाकर लोगों का दिल जीता। अटल जी तो इस दुनिया में अब नहीं हैं लेकिन उनकी कविताएं आज भी लोग के दिलों में उनकी याद को ताजा कर देती हैं। अटल जी की पुण्य तिथि पर पढ़िए उनकी ये शानदार कविताएं...

Image Source : INDIA TVAtal Bihari Vajpayee 

कदम मिलाकर चलना होगा

बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे, 
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं
निज हाथों में हंसते-हंसते
आग लगातार जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।।

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गीत नहीं गाता हूं

बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नजर बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

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ऊंचे पहाड़ पर

ऊंचे पहाड़ पर,
पेड़ नहीं लगते,
पौधे नहीं उगते,
न घास ही जमती है।
जमती है सिर्फ बर्फ,
जो, कफन की तरह सफेद और,
मौत की तरह ठंडी होती है।
खेलती, खिलखिलाती नदी,
जिसका रूप धारण कर,
अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है।

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धरती को बौनों की नहीं,
ऊंचे कद के इंसानों की जरूरत है।
इतने ऊंचे कि आसमान छू लें,
नये नक्षत्रों में प्रतिभा की बीज बो लें,
किन्तु इतने ऊंचे भी नहीं,
कि पांव तले दूब ही न जमे,
कोई कांटा न चुभे,
कोई कली न खिले।

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दूध में दरार पड़ गई

खून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

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मौत से ठन गई

मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

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