धर्म डेस्क: हिन्दी पंचांग के अनुसार फाल्गुन साल का आखिरी महीना है और इसके समाप्त होते ही नये साल की शुरुआत हो जाती है। फाल्गुन मास भले ही साल का आखिरी महीना है, लेकिन यह अपने साथ बहुत - सी खुशियां लेकर आता है। फाल्गुन को रंगों का महीना भी कहा जाता है। पूरे फाल्गुन महीने पर वसन्त ऋतु की छटा बिखरी रहती है। सर्द ऋतु के अंत और गर्मी की शुरुआत का ये समय बड़ा ही सुहावना होता है। जहां एक तरफ फाल्गुन माह में प्रकृति की छटा रहती है, तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति के कई प्रमुख त्यौहार भी इसी महीने में आते हैं। खासकर कि फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि और होली का इंतजार सबको रहता है।
महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनायी जाती है। इस बार 14 फरवरी को महाशिवरात्रि मनायी जायेगी। इस दिन देश में मौजूद अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का बहुत महत्व है। महाशिवरात्रि के साथ ही 14 फरवरी को पूरा दिन, पूरी रात पार करके अगली सुबह 03:24 पर बुध कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। बुध वाणी और बुद्धि का देवता है। बुध के कुंभ राशि में इस प्रवेश से अलग-अलग राशि वालों पर भी प्रभाव होगा, इसके बारे में हम बाद में विस्तार से चर्चा करेंगे। उसी दिन श्री वैद्यनाथ जी की जयन्ती और ऋषि बोधोत्सव भी है।
- वहीं फाल्गुन माह के सबसे खास त्योहार होलिकादहन और होली की बात करें तो इस बार होलिकादहन 1 मार्च को होगा और उसके अगले दिन रंगों से होली खेली जायेगी। होलिकादहन के दिन ही श्री चैतन्य महाप्रभु की जयंती भी है। इसके अलावा होलाष्टक की बात करें तो होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लगते हैं।
- होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस बार होलाष्टक 22 फरवरी को है। माना जाता है कि फाल्गुन माह की पूर्णिमा को ही अत्रि और अनुसूया से चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई थी। अत: उस दिन चन्द्रोदय के समय चन्द्रमा की पूजा भी करनी चाहिए।
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