बिजनेस में तरक्की के लिए बुधवार को ऐसे धारण करें अष्टमुखी रुद्राक्ष, जानें अन्य लाभ
बुधवार का दिन राहु संबंधी उपायों के लिये भी अच्छा माना जाता है | अतः राहु और भगवान गणेश से जुड़े बुधवार के दिन आचार्य इंदु प्रकाश से जानें अष्टमुखी रुद्राक्ष के बारे में |
शास्त्रों में सप्ताह के सातों दिनों में किसी न किसी देवी-देवता की उपासना का जिक्र मिलता है। जैसे सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना का महत्व है, उसी तरह बुधवार के दिन प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की उपासना का महत्व है। साथ ही बुधवार का दिन राहु संबंधी उपायों के लिये भी अच्छा माना जाता है। अतः राहु और भगवान गणेश से जुड़े बुधवार के दिन आचार्य इंदु प्रकाश से जानें अष्टमुखी रुद्राक्ष के बारे में।
अष्टमुखी रुद्राक्ष को प्रथम पूजनीय, संकट निवारक भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद प्राप्त है। साथ ही इसका नियामक ग्रह राहु है, यानी अष्टमुखी रुद्राक्ष, राहु के द्वारा रेग्युलेट होता है। राहु की किसी भी विपरीत स्थिति को अपने अनुकूल बनाने के लिये अष्टमुखी रुद्राक्ष बेहद ही फायदेमंद है। साथ ही शनि देव की अनुकूलता के लिये भी इस रुद्राक्ष को उपयोग में लाया जाता है। अष्टमुखी रुद्राक्ष को सप्तमुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने पर शनि दोषों से मुक्ति पायी जा सकती है।
जाबालोपनिषद् के अनुसार यह अष्टमुखी रुद्राक्ष दिव्य माताओं की, आठ वासुओं की और गंगा की छवि है और ये सब इस रुद्राक्ष के धारक को आशीर्वाद देते हैं। लिहाजा इन सब देवी-देवताओं और ग्रहों के प्रभाव वाले अष्टमुखी रुद्राक्ष के जरिये आप अपने जीवन में किन-किन परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।
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अष्टमुखी रुद्राक्ष का मतलब क्या है?
द्राक्ष के दाने पर जितनी धारियां या लाइन्स पड़ी होती हैं, वो उतने ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है और ये सब एक ही पेड़ पर पाये जाते हैं। पेड़ से रुद्राक्ष के फल उतारे जाने के बाद ही इस बात का पता चल पाता है कि वह कितने मुखी रुद्राक्ष है। जिस रुद्राक्ष पर आठ संतरे की तरह फांके या धारियां पड़ी होती हैं, उसे अष्टमुखी रुद्राक्ष कहते हैं और ये मुख्य तौर पर नेपाल और इंडोनेशिया में पाये जाते हैं। जहां नेपाली अष्टमुखी दानों की आकृति अधिकतर अंडाकार होती है, वहीं इंडोनेशियाई दाने आकार में लगभग 9 से 15 मि.मी व्यास के होते हैं|
अष्टमुखी रुद्राक्ष से मिलने वाले लाभ
- अष्टमुखी रुद्राक्ष अच्छी बुद्धि, ज्ञान प्राप्ति, अर्थ लाभ और कार्य में यश का कारक है। यह धारक को विश्लेषक बुद्धि, यानी चीज़ों का विश्लेषण करने की क्षमता और लेखन कौशल्य प्रदान करता है। इससे व्यक्ति को नेतृत्व करने की समझ, सुख-समृद्धि, यश और कला में निपुणता मिलती है। साथ ही अष्टमुखी रुद्राक्ष का धारक दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति और अनेक प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि को प्राप्त करता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अष्टमुखी रुद्राक्ष का धारक शिव लोक को प्राप्त होता है। साथ ही जिन लोगों की प्रगति में अड़चनें आ रही हैं या जिन लोगों के काम अपने अनुसार पूरे नहीं हो पाते हैं, किसी तरह के विवाद में आप जीत नहीं पाते हैं और आपको निराशा का सामना करना पड़ता है, तो इन सब परेशानियों से छुटकारा पाने के लिये भी अष्टमुखी रुद्राक्ष बहुत ही फायदेमंद है। जिन लोगों को जीवन में बार-बार बाधाओं का सामना करना पड़ता है, उन लोगों को अष्टमुखी रुद्राक्ष के साथ ही सप्तमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना करने से लाभ होगा।
- बिजनेस के क्षेत्र में सफलता पाने के लिये भी आठ मुखी और सात मुखी रुद्राक्ष का संयोग बहुत ही लाभदायक है। इसके अलावा अपने बिजनेस के अनुरूप आप आठ मुखी और सात मुखी रुद्राक्ष के साथ अन्य कौन-से रुद्राक्ष का संयोग धारण करके लाभ उठा सकते हैं, इसकी भी हम अभी चर्चा करेंगे, लेकिन उससे पहले आपको बता दूं कि अष्टमुखी रुद्राक्ष के जरिये आप किन-किन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में लाभ पा सकते हैं।
- मुखी रुद्राक्ष सर्पभय से छुटकारा दिलाता है और साथ ही श्वास संबंधी समस्यायों से निजात पाने के लिए भी 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है। जैसा कि शुरुआत में हमने आपको बताया था कि अष्टमुखी रुद्राक्ष का नियामक ग्रह राहु है। अतः राहु जनित परेशानियों से बचने के लिये अष्टमुखी रुद्राक्ष बहुत ही फायदेमंद है। राहु जनित दोष होने पर व्यक्ति को फेफड़ों से संबंधित विकार, पंजों और त्वचा से संबंधित रोग और मोतियाबिन्द आदि होता है। अगर आपको भी इस तरह की कोई परेशानी है, तो आपको अष्टमुखी रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए।
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- नाड़ी संस्थान, तंत्रिका प्रणाली और पिताशय से संबंधी रोगों में भी अष्टमुखी रुद्राक्ष फायदा पहुंचाता है। साथ ही झुर्रियां मिटाने के लिये अष्टमुखी रुद्राक्ष को कैसे उपयोग में लिया जा सकता है, ये भी जान लेते हैं।
- अष्टमुखी रुद्राक्ष और बादाम के बीज को गुलाब जल में मिलाकर लेप बनायें और उस लेप को चेहरे पर लगाकर एक घंटे के लिये रहने दें। फिर चेहरे को बिना साबुन के साफ पानी से धोएं। इससे कुछ ही दिनों में आपका चेहरा आकर्षक होगा और आपके चेहरे की झुर्रियां मिट जायेगी।
- अर्जुन के वृक्ष की छाल और रुद्राक्ष का बारीक चूर्ण लेकर, शहद के साथ मिलाकर लेप बनाएं और इस लेप को चेहरे पर लगाकर एक घंटे के लिये रहने दें। फिर साफ पानी से चेहरे को धो लें। इससे भी आपको असर देखने को मिलेगा।
सात मुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ अन्य रुद्राक्ष के संयोग से अपने बिजनेस के अनुरूप लाभ
- अगर आप किसी वस्तु के उत्पादन से जुड़े हुए हैं या आप प्रॉपर्टी से रिलेटिड काम करते हैं, तो आपको सात और आठ मुखी रुद्राक्ष के एक-एक दाने के साथ बारह मुखी रुद्राक्ष काएक दाना पहनना चाहिए। इससे आपको बिजनेस में यश-कीर्ति मिलेगी।
- अगर आप विक्रेता हैं, यानी आप किसी सामान की बिक्री करते हैं या जो लोग कला के क्षेत्र से संबंध रखते हैं, उन्हें सात मुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष के एक-एक दाने के साथ 13 मुखी रुद्राक्ष का भी एक दाना पहनना चाहिए।
- अगर आप शेयर मार्किट या किसी तरह के आयात-निर्यात से संबंध रखते हैं या जो लोग किसी उच्च पद पर आसीन हैं, उन लोगों को सात मुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ पंचमुखी या चौदह मुखी रुद्राक्ष में से कोई एक दाना धारण करना चाहिए। इससे आपको अपने काम में लाभ जरूर मिलेगा।
- अगर आप जायदाद या ऋण संबंधी किसी मामले में अटके हुए हैं और आपको तुरंत सफलता चाहिए, तो आपको सात मुखी और आठ मुखी के साथ 17 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इससे आपको बहुत जल्द ही सफलता मिलेगी।
- अगर आप बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं या जल्द ही भविष्य में करने वाले हैं, तो आपको 18 मुखी रुद्राक्ष के साथ एक दाना सात मुखी का और एक दाना आठ मुखी रुद्राक्ष का लाल धागे में पिरोकर पहनना चाहिए। इससे आपके प्रोजेक्ट बिना किसी परेशानी के सफल होंगे।
- अगर आपको काम के लिये कोई सही दिशा नहीं मिल पा रही है या आप अपने व्यापार का क्षेत्र बदलना चाहते हैं, तो आपको सात और आठ मुखी के साथ दस मुखी रुद्राक्ष का संयोग धारण करना चाहिए। इससे आपको काफी फायदा होगा।
- अष्टमुखी रुद्राक्ष को वो लोग भी धारण कर सकते हैं, जिनका जन्म राहु संबंधी नक्षत्रों, यानी आर्द्रा, स्वाती और शतभिषा नक्षत्र में हुआ है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष कैसे करें धारण
रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उस पर मंत्र जप जरूर किया जाना चाहिए -
शिव पुराण के अनुसार - ऊँ हुं नमः।
पद्मपुराण के अनुसार – ऊँ सः हुं नमः।
स्कंदपुराण के अनुसार – ऊँ कं वं नमः।
इसके अलावा –
ऊँ श्रीं
ऊँ ह्रीं ग्रीं लीं....
महामृत्युंजय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।|
और ऊँ नमः शिवाय .....मंत्र का जप करना चाहिए। इस प्रकार मंत्र से सिद्ध करने के बाद आप अष्टमुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं या घर में किसी उचित स्थान पर भी स्थापित कर सकते हैं।