मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि और मंगलवार का दिन है। चतुर्थी तिथि रात 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। उसके बाद पंचमी तिथि लग जायेगी। इसके साथ ही संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है, साथ ही मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी कहलाती है।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य एवं विघ्न विनाशक है। भगवान गणेश को बुद्धि, समृधि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश जी की उपासना शीघ्र फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वालों की समस्त इच्छायें पूर्ण होती है। व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है।
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मिलेगा कर्ज से छुटकारा
अंगारकी चतुर्थी का व्रत कर्ज से छुटकारा पाने के लिये बड़ी ही कारगर माना गया है । फिर चाहें किसी भी तरह का कर्जा हो- मकान से जुड़ा कर्ज, बिजनेस से जुड़ा कर्ज या फिर पर्सनल लोन | बता दूँ कि- आज मंगलवार के दिन चतुर्थी का यह संयोग अत्यंत शुभ एवं सिद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।
अंगारकी गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त चतुर्थी तिथि आरंभ- 22 नवंबर रात 10 बजकर 27 मिनट से शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त: 23 नवंबर 2021 को रात 12 बजकर 55 मिनट तक
चंद्रोदय का समय है- रात 8 बजकर 11 मिनट पर
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि इस दिन भगवान गणेश के निमित्त व्रत कर विधिवत पूजा करने से पूरे साल भर की चतुर्थियों के व्रत के समान पुण्य फल मिलता है | लिहाजा जो व्यक्ति पूरे साल चतुर्थी का व्रत नहीं रख सकता या नहीं रख सका। उसे इस खास संयोग का
फायदा जरूर उठाना चाहिए । इससे आपके जीवन में कभी कोई विघ्न या कोई बाधा नहीं आयेगी।
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे। इसके बाद गणपति का ध्यान करे। इसके बाद एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं इस कपड़े के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगा जल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाए। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। । गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें
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