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संतान की लंबी आयु के लिए रखें अहोई अष्टमी व्रत, जाने पूजा विधि और कथा

नई दिल्ली: कार्तिक माह को त्योहारों का मास कहा जाता है, क्योकि इस माह में करवा चौथ, अहोई अष्टमी, दीपावली , भाईदूजा जैसे हिंदू धर्म के मुख्य त्योहार होते है। ये भी पढ़े- राम ने

संतान की सुख के लिए...- India TV Hindi संतान की सुख के लिए करें अहोई अष्टमी व्रत

नई दिल्ली: कार्तिक माह को त्योहारों का मास कहा जाता है, क्योकि इस माह में करवा चौथ, अहोई अष्टमी, दीपावली , भाईदूजा जैसे हिंदू धर्म के मुख्य त्योहार होते है।

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कार्तिक मास के दो त्योहार महिलाओं के लिए बहुत ही खास होते है। एक करवा चौथ जो पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है और दूसरा अहोई अष्टमी व्रत जो अपनी संतान की दीर्घायु और सुख के लिए रखा जाता है। अहोई अष्टमी व्रत इस बार 3 नवंबर, मंगलवार को है।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई या फिर आठे कहते है। अहोई का अर्थ एक यह भी होता है अनहोनी को होनी बनाना। यह व्रत आमतौर पर करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से ठीक आठ दिन पहले पड़ता है। मान्यता है कि इस व्रत को केवल संतान वाली महिलाएं ही रख सकती है, क्योंकि यह व्रत बच्चों के सुख के लिए रखा जाता है। इस व्रत में अहोई देवी की तस्वीर के साथ सेई और सेई के बच्चों के चित्र भी बनाकर पूजे जाते हैं।
 
अहोई व्रत करले की विधि
जिन महिलाओं को यह व्रत करना होता है वह दिनभर उपवास रखती हैं। शाम के समय श्रृद्धा के साथ दीवार पर अहोई की पुतली रंग भरकर बनाती हैं। उसी पुतली के पास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। कई महिलाएं तो बाजार में बिकने वाली अहोई के बने रंगीन तस्वीर ले लेती है और उसी से पूजा करती है। आप भी ऐसा कर सकते है।

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