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सिंहस्थ: महाकुंभ को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं, शिप्रा नदीं में मिल रहें है गंदे नाले

सिर्फ दो दिन सिंहस्थ के बाकी है जो कि 12 साल में एक बार आता है। साथ ही यह देश का सबसे बड़ा महाकुंभ माना जाता है। लेकिन स्थानीय प्रशासन अब भी गंभीर नजर नहीं आ रही हैं..

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नई दिल्ली:  सिर्फ दो दिन सिंहस्थ के बाकी है जो कि 12 साल में एक बार आता है। साथ ही यह देश का सबसे बड़ा महाकुंभ माना जाता है। लेकिन स्थानीय प्रशासन अब भी गंभीर नजर नहीं आ रही हैं।

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शिप्रा नदी जहां पर महाकुंभ की शुरुआत होगी, लेकिन अब भी उसमें मिलने वाले नाले बंद नहीं किए गए है। 12 साल पहले हाईकोर्ट ने शिप्रा नदी को साफ और शुद्धिकरण के आदेश दिए थे, लेकिन इस फैसले को स्थानीय प्रशासन ने पालन नही किया। कोर्ट की अवमानना याचिका लगने के बावजूद अभी भी इस नहीं पर गंदे नाले मिल रहे है। जिसके कारण यहां पर स्नान करने वालों को साफ पानी मिलना मुश्किल है।

इस बारें में सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता बाकिर अली रंगवाला के वकील ने जस्टिस पीके जायसवाल और लिलेक रूसिया की युगल पीठ के सामने अपने तर्क रखें। जिसके कारण कोर्ट ने रीजनल ऑफिसर को आदेश दिया है कि वे एक सप्ताह के अंदर नदी की वर्तमान स्थिति और इसे शुद्ध करने में जो प्रयास किए गए है उसका एक शपथ पत्र के साथ पेश हो।

नगर निगम कमिश्नर और क्लेकटर हुए कोर्ट के सामने पेश
कोर्ट के आदेश के बाद भी उचित जवाब न मिलने के कारण सोमवार को उज्जैन के कलेक्टर कवींद्र रियावत, निगम कमिश्नर अविनाश लवानया के साथ-साथ प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड के अधिकारी कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया था। जिसके कारण सोमवर को सभी अधिकारी पेश हुए। जब इस बारें में कोर्ट ने सुझाव पूछे तो उनका कहना था कि हमने पिछली रिपोर्ट के सुझाव और अभी तक किए हर कार्य की जानकारी पेश कर दी, लेकिन कोर्ट इन सब से संतुष्ट न हुआ।

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