नई दिल्ली: हिंदू धर्म में हिंदू पंचाग के मुताबिक एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जया एकादशी के नाम के साथ-साथ इसे अजा एकादशी के नाम से भी जानते है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। जया एकादशी को पुण्यदायी एकादशी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने वाले लोगों को भूत, पिशाच आदि से भी छुटकारा मिल जाता है। जिन लोगों पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव होता है, उनके लिए माघ माह की ये एकादशी लाभकारी मानी जाती है।
एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर व्रत करने वाले लोग स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा करते हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखने की भी मान्यता है। माना जाता है कि इस दिन के व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। दाल, चावल आदि का सेवन एकादशी के किसी व्रत में करना मना होता है। एकादशी के दिन चावल का सेवन शुभ नहीं माना जाता है। एक एकादशी का व्रत 100 एकादशी के समान होता है। इस दिन व्रत कथा का पाठ करने के बाद ही व्रत सफल होता है।
एकादशी की पूजा और कथा का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों, गरीबों और अन्य जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को विशेष पकवान का भोग लगाया जाता है। रात्रि में दीपदान करने की परंपरा है और एकादशी की रात को जागकर भजन-कीर्तन करना भी शुभ माना जाता है। इस वर्ष जया एकादशी का व्रत 27 जनवरी 2018 को है। एकादशी की तिथि 27 जनवरी को सुबह 11 बजकर 14 मिनट से शुरु हो रही है और तिथि समापन 28 जनवरी को सुबह 8 बजकर 27 मिनट पर खत्म होगा।
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