नया साल 2020 दे रहा है फिर से बच्चा बनने का मौका, बनेंगे क्या?
बड़ों की जिंदगी से तंग आ गए हैं तो कुछ दिन फिर से बच्चा बनकर जी लीजिए। नए साल पर अपने बच्चों के साथ जी लीजिए बचपन रीमेक।
छूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम, ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम...आप तो आप बड़े हो गए हैं..रोज घर से दफ्तर और दफ्तर से घर। यही रह गया है जिंदगी में। समय नहीं मिल पाता क्या करें। कितनी जिम्मेदारिया हैं, बताओ जरा। कोई समझता ही नहीं जज्बातों को, किससे कहें दुख अपना। अगर आप भी ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं तो आपको बचपन के रीमेक की जरूरत है। जी हां, अनमने ढंग से वयस्क और अधेड़ बनते रहे हमारे समाज को भी नए साल पर बचपन को फिर से जीने की जरूरत है। तो कीजिए प्लानिंग औऱ नए साल पर बन जाइए बच्चा, फिर देखिए, बोरिंग जिंदगी कैसे रीवाइंड होकर नए नगमे सुनाती है।
अगर आप मां बाप हैं तो सबसे पहले अपने बच्चों से बचपन जीना सीख लें। इसके लिए दो काम करने होंगे. पहला उन्हें वक्त देना और दूसरा उनसे वक्त मांगना होगा। बच्चे जानते हैं कि आप बिजी हैं, उनकी अपनी दुनिया है, उसमें शामिल होने की कोशिश कीजिए। उन्हें समझिए, खेलिए, छोटे छोटे खेल, प्यारी बातें, कई बार बचपनें की बातें, फिर देखिए कैसे आपकी जिंदगी आपके इन मासूम फूलों की तरह मुस्कुराने लगेगी।
इस नेक काम को करने के कारण आपके दो फायदे होंगे, आपकी बचपन लौट आएगा और बच्चों को अटेंशन मिलेगी जिसके वो हकदार हैं। उनके साथ चिड़ियाघर घूम कर आइए, कैरमबोर्ड में रानी के लिए लड़ाई, लूडो में गोट पीटने का सुख, पार्क में झूले पर पींगे बढ़ाना, स्कूल के मजेदार प्रोजेक्ट करना, कागज की कश्ती बनाना, कुनमुनी धूप में मस्ती करना, चोर सिपाही, पोशंपा, रस्सी कूद जाने कितने खेल हैं जो आपने बचपन में खेले हैं, उन्हें फिर से खेलिए। यकीन कीजिए जिदंगी की आपाधापी में जो मासूमियत आपके चेहरे से उड़ चुकी है वो लौट कर आ जाएगी।
नए साल के पहले महीने में रजाई में घुसकर बच्चों संग घर घर खेलिए...फरवरी में फ्लॉवर्स पार्क की सैर कीजिए...मार्च में पिचकारी वाली होली संग रंगिए पुतिए...मई जून की छुट्टियों में तपती छत पर पानी डालने के बाद अपनी अपनी दरियों पर लेट तारे गिनने का सकून, 15 अगस्त को राष्ट्र गान के बाद मिलने वाले लड्डू, जन्माष्टमी पर कान्हा और राधा बनना, दीपावली पर अलग से छोटा सा मिट्टी का घर बनाना...यूं तो हर माह में छिपा है बचपन का रीमेक...अगर चाहें तो लुत्फ उठा सकते हैं और शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंटरनेट के गुलाम हो रहे अपने बच्चों को भी बचपन जीना सिखा सकते हैं आप...जी हां आप बर्शते आप तय कर लें कि नए साल के रिजोल्यूशन में इस टास्क को जरूर शामिल करना है।
इन छोटे छोटे जतनों से जिंदगी में रंग भरेंगे, आपका सेंस ऑफ ह्यूमर बढ़ जाएगा...दोस्त हैरान होकर पूछेंगे - 'यार ये चल क्या रहा है' तो आप तपाक से बोल उठेंगे 'फॉग।'