World Idli Day: आमतौर पर जब इडली की बात आती है तो इसे हम साउथ इंडियन दिश के नाम से पुकारते है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। वास्तव में इडली इंडोनेशिया से भारत आई थी। इसका इतिहास बहुत ही पुराना है। फूड हिस्टोरियंस की मानें तो इडली भारत 800 से 1200 ईसा पूर्व आई। 'इडली' शब्द को लेकर भी यह माना जाता है कि इसका उद्भव 'इडलीग' से हुआ। जिसका जिक्र कन्नड़ साहित्य में मिलता है। हर साल विश्व इडली दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है। जानें इसके बारें में रोचक तथ्य।
आपको यह बात जानकार हैरानी नहीं होगी कि यह बहुत ही हेल्दी रेसिपी मानी जाती है। ब्रेकफास्ट में इसे शामिल करना आपके लिए हेल्दी साबित होगा।
विदेशों में भी है प्रिय
ऊबर ईट्स के मुताबिक, इडली को पसंद करने वाले सिर्फ भारत तक नहीं सीमित हैं विदेशों में भी इसकी डिमांड है। सैन फ्रांसिस्को, लंदन और न्यू जर्सी ऐसी जगह हैं जो इडली को ऑर्डर करने के मामले में नंबर 1 पर हैं।
ऐसे हुई इडली दिवस की शुरुआत
'विश्व इडली दिवस' पिछले 3 सालों से मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत 'एम एनियावन' ने की है। एनियावन इडली की प्रसिद्ध चैन 'मल्लीपू इडली' के संस्थापक हैं। इडली बच्चों से लेकर बूढों तक के लिए सबसे सुरक्षित खाना है। एनियावन का कहना है कि जिस तरह से फादर डे, मदर डे सहित कई दिवस मनाए जाते हैं उसी तरह मेरे जेहन में इडली दिवस मनाने का विचार आया। हालांकि यह भी सच है कि रेहड़ी से लेकर होटलों तक में इडली बेचने वाले बहुत से लोग वर्ल्ड इडली डे को लेकर जागरुक नहीं हैं। उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है।
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