नई दिल्ली: बुजुर्गो के प्रति दुर्व्यवहार की बढ़ती घटनाओं को उजागर करने और इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अनुग्रह फाउंडेशन के सहयोग से एक संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें 400 से अधिक बुजुर्गो ने हिस्सा लिया। आईएमए के अध्यक्ष रवि वानखेडकर ने कहा, "इस संगोष्ठी का उद्देश्य बुजुर्गो के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के साथ-साथ उनके लिए उपलब्ध अवसरों का पता लगाना है।
साथ ही सभी वरिष्ठ नागरिकों, उनकी देखभाल करने वालों, सरकार और निजी कंपनियों को बुजुर्गो के खिलाफ किसी भी तरह की शारीरिक, मानसिक, वित्तीय या भावनात्मक हिंसा को कम करने के बारे में विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। इसके अलावा हम वरिष्ठ नागरिकों को ऐसे दुर्व्यवहार के खिलाफ उनके स्वयं की सुरक्षा के लिए बनाए गए उनके अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान करना चाहते हैं।
"संगोष्ठी में बुजुर्गो के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को कम करने, केस रिपोर्टों की संख्या में वृद्धि करने के लिए बुजुर्गो के अनुकूल नीतियां बनाने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। आने वाले वर्षो में बुजुर्ग लोगों की संख्या में लगभग सभी देशों में वृद्धि होने की उम्मीद है और विकासशील देशों में तो बुजुर्गो की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रपट के अनुसार, भारत में 12 करोड़ से अधिक लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और इनमें से लगभग छह प्रतिशत बुजुर्ग किसी न किसी प्रकार के दुर्व्यवहार के शिकार हैं और ऐसी कई घटनाएं अभी तक दर्ज भी नहीं की गई हैं।
बुजुर्ग दुर्व्यहार अभियान के संयोजक डॉ. डी.आर. राय ने कहा, "यह चिंता केवल भारत या विकासशील देशों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर में वरिष्ठ नागरिकों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक है।"बुजुर्गो के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए, आईएमए ने कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, ईएनटी, गैरियेट्रिक और मानसिक स्वास्थ्य विभागों सहित एक स्वास्थ्य जांच शिविर भी आयोजित किया। वहां मौजूद बुजुर्गो में से 20 प्रतिशत से अधिक में प्रथम चरण के डिमेंशिया की पहचान की गई, 42 प्रतिशत बुजुर्गो का हड्डी खनिज घनत्व कम था और उनमें सुनने की समस्याएं भी थीं।
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