योगा सीरीज: डिप्रेशन हो या माइग्रेन योग से सब ठीक होगा
लखनऊ: योग से सेहत सुधारने में थोड़ा वक्त जरूर लगता है, लेकिन इसका असर लंबे समय तक रहता है। बदलती जीवनशैली के कारण जो बीमारियां आम हो चुकी हैं उनको चंद आसन योगा टिप्स से
सूर्य नमस्कार
सभी आसनों का सार छिपा है सूर्य नमस्कार में। सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस योग में लगभग सभी आसनों का समावेश है। सूर्य नमस्कार साधक को सम्पूर्ण लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्य नमस्कार बारह स्थितियों में किया जाता है।
विधि
(1) पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठाते हुए दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाए। हथेलियों के पृष्ठ भाग एक-दूसरे से चिपके रहें। फिर उन्हें उसी स्थिति में सामने की ओर लाएं। तत्पश्चात नीचे की ओर गोल घुमाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा कमर से पीछे की ओर झुकते हुए भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं। यह अर्धचक्रासन की स्थिति मानी गई है।
(3) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें।
(4) इसी स्थिति में हथेलियां भूमि पर टिकाकर श्वास को भरते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को ऊपर उठाएं। इस मुद्रा में टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर और पैर का पंजा खड़ा हुआ रहना चाहिए। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।
(5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए हुए बाएँ पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कंठ में लगाएं।
(6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दंडवत करें और पहले घुटने, छाती और ठोड़ी पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठाएँ। श्वास छोड़ दें। श्वास की गति सामान्य रखें।
(7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। इस स्थिति को भुजंगासन की स्थिति कहते हैं।
(8) यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है। जबकि हम ठोड़ी को कंठ से टिकाते हुए पैरों के पंजों को देखते हैं।
(9) यह स्थिति चौथी स्थिति के समान है। इसमें पीछे ले जाए गए दाएँ पैर को पुन: आगे ले आएं।
(10) यह स्थिति तीसरी स्थिति के समान हैं। फिर बाएं पैर को भी आगे लाते हुए पुन: पाद पश्चिमोत्तनासन की स्थिति में आ जाएं।
(11) यह स्थिति दूसरी स्थिति के समान हैं। जिसमें पाद पश्चिमोत्तनासन खोलते हुए और श्वास भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं। उसी स्थिति में हाथों को पीछे की ओर ले जाएं साथ ही गर्दन तथा कमर को भी पीछे की ओर झुकाएं अर्थात अर्धचक्रासन की मुद्रा में आ जाएं।
(12) यह स्थिति पहली स्थिति की भांति रहेगी। अर्थात नम:स्कार की मुद्रा।
बारह मुद्राओं के बाद पुन: विश्राम की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब इसी आसन को पुन: करें। पहली, दूसरी और तीसरी स्थिति उसी क्रम में ही रहेगी लेकिन चौथी स्थिति में पहले जहाँ दाएं पैर को पीछे ले गए थे वहीं अब पहले बाएँ पैर को पीछे ले जाते हुए यह सूर्य नमस्कार करें।
यह योग बच्चों के विकास, खासतौर पर लंबाई बढ़ाने और आंखों की रोशनी ठीक रखने को सूर्य नमस्कार बेहद जरूरी है।
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