हेल्थ डेस्क: भारत में धूम्रपान करने वाले प्रत्येक 10 में से सात लोग धूम्रपान को सेहत के लिए खतरनाक समझते हैं, इनमें से 53 फीसदी लोग धूम्रपान छोड़ने की कोशिशों में नाकाम रहे हैं। गैर सरकारी संस्था फाउन्डेशन फॉर स्मोक फ्री वर्ल्ड द्वारा जारी आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि देश में धूम्रपान करने वाले प्रत्येक 10 में से सात लोग धूम्रपान को सेहत के लिए खतरा मानते हैं और 53 फीसदी लोग धूम्रपान छोड़ने की कोशिशों में नाकाम साबित हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि धूम्रपान करने वालों को ऐसे विकल्प और तरीके उपलब्ध कराने होंगे, ताकि वे लम्बा और सेहतमंद जीवन जी सकें।
फाउन्डेशन फॉर ए स्मोक फ्री वर्ल्ड के अध्यक्ष डेरेक याच ने कहा, "आंकड़ों में वही तथ्य सामने आए हैं जो दशकों से हम सभी जानते हैं- कि धूम्रपान करने वाले लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं लेकिन इसमें नाकाम रहते हैं।"
उन्होंने रिपोर्ट में सामने आए कुछ परिणामों के बारे में कहा, "धूम्रपान करने वाले 68 फीसदी लोगों ने बताया कि धूम्रपान के बुरे प्रभावों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। धूम्रपान करने वाले 51 फीसदी लोगों ने बताया कि वे धूम्रपान छोड़ने की योजना बना रहे हैं। धूम्रपान करने वाले 41 फीसदी लोग, जो इसे छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें इसके लिए किसी की मदद की जरूरत है। धूम्रपान करने वाले 25 फीसदी लोग धूम्रपान छोड़ने के लिए ई-सिगरेट या वेपिंग डिवाइस इस्तेमाल कर रहे हैं।"
इस अध्ययन के तहत 13 देशों के 17,000 प्रतिभागियों पर सर्वेक्षण किया गया, सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनिया भर में धूम्रपान पर रोक लगाना एक बड़ी चुनौती है। साफ है कि धूम्रपान करने वाले लोग धूम्रपान के लिए अपनी सेहत और आर्थिक कल्याण को भी दांव पर लगा रहे हैं, हालांकि इनमें से ज्यादातर लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले भारत में 10.4 करोड़ से अधिक लोग तंबाकू के सेवन से अपनी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बीड़ी इन लोगों के लिए सस्ता विकल्प है। देश में बड़ी संख्या में लोग तंबाकू के रूप में बीड़ी का सेवन करते हैं। पारंपरिक सिगरेट की तुलना में बीड़ी पर कर में छूट के चलते यह सस्ती भी पड़ती है। ऐसे में साफ है कि भारत में अगर हम धूम्रपान पर रोक लगाना चाहते हैं, तो हमें अन्य देशों की तुलना विशेष उपाय अपनाने होंगे।
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