World Autism Awareness Day: जब एक बच्चा बढ़ा होता है तो उसी के साथ-साथ उसका विकास भी होता जाता है। जैसे कि 6 माह का बच्चा मुस्कुराने लगता है या फिर कई बच्चे जल्दी ही चलने लगते है। लेकिन अगर आपका बच्चा ये चीजे जरुरत से ज्यादा देर कर रहा है तो उसपर ध्यान देना बहुत ही जरुरी है। उसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर हो सकता है। भारत में करीब एक करोड़ बच्चे इस डिसऑर्डर की चपेट में है। जानें इसके लक्षण और क्या होता है ये।
क्या होता है ऑटिज्म?
ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो ज्यादातर बच्चों में शुरू के ही तीन साल में दिखने लगता है। ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों में तीन तरह के विकास बहुत धीमी गति से होते हैं जिन्हें ट्रायड ऑफ इम्पेयरमेंट कहते हैं। ये वर्बल या नॉन वर्बल कम्युनिकेशन, सोशल इंटरेक्शन, इमेजिनेशन हैं।
autism
ऑटिज्म के लक्षण
- आंखें मिलाकर बात न कर पाना।
- बात समझने में मुश्किल।
- शब्दों की बहुत कम समझ होना।
- रचनात्मक भाषा की कमी।
- बिल्कुल बात न कर पाना।
- गुनगुन करके बात करना या बात करते हुए संगीत निकलना।
- हमेशा गुमसुम बैठे रहना।
- बड़बड़ाना।
- रोबोटिक स्पीच।
- दूसरों की बातों को बेमतलब दोहराना।
- बिना एक्सप्रैशन वाली टोन के बात करना।
इस कारण होते है बच्चे ऑटिज्म के शिकार
अब सबसे बड़ी बात है कि आखिर बच्चे ही इस बीमारी के शिकार क्यों होते है? इसका वास्तविक कारण क्या है। इस बारें में पिलहाल अभी कोई जानकारी नहीं है। यह जेनेटिक या फिर पर्यावरण के कारण भी हो सकता है। इस संबंध में शोधकर्ताओं जन्म से पहले पर्यावरण में मौजूद रसायनों और किसी संक्रमण के प्रभाव में आने के प्रभावों का भी अध्ययन कर रहे हैं।
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