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सावधान! चिकनगुनिया के शिकार हुए लोगों को हो सकता है गठिया, करें ऐसे बचाव

चिकनगुनिया में जोड़ों का तेज दर्द होता है और लंबे समय तक रहता है। ऐसे मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो जाती है जिसकी वजह से भविष्य में ऐसे मरीजों में ऑथराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

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हेल्थ डेस्क: इस समय भी देश में चिकनदुनिया का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है। चिकनगुनिया के कारण ऑथराइटिस के मरीज भी अधिक मात्रा में बढ़ रहे है। चिकनगुनिया के करीब 20 से 40 फीसदी मरीजों में आने वाले समय में ऑथराइटिस का खतरा है। आमतौर पर जो चिकनगुनिया से निकला है उसे जोड़ो का दर्द कम से कम एक महीने रहता है। जिसके कारण वह ठीक ढंग से कोई काम भी नहीं कर पाते है, लेकिन इससे सबसे ज्यादा खतरा गठिया का है।

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की रिमोट्यॉड ऑथराइटिस विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार ने बताया कि चिकनगुनिया में जोड़ों का तेज दर्द होता है और लंबे समय तक रहता है। ऐसे मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो जाती है जिसकी वजह से भविष्य में ऐसे मरीजों में ऑथराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। अलग-अलग सर्वे के अनुसार देश की करीब आठ से 18 फीसदी आबादी ऑथराइटिस की बीमारी से पीड़ित है।

डॉ.कुमार ने बताया कि देश-विदेश में हुअए अलग-अलग शोध से स्पष्ट हुआ है कि धूम्रपान, प्रदूषण, मोटापा, दांतों में संक्रमण ऑथराइटिस की एक बड़ी वजह है। डॉ.कुमार ने बताया कि करीब 200 तरह की ऑथराइटिस होती है जिसमें देश में सबसे आम रिमोट्यॉड ऑथराइटिस है।

इस समय सबसे ज्यादा होता है दर्द
मैक्स अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के निदेशक डॉ.रमणीक महाजन ने बताया कि ऑथराइटिस में दर्द सुबह के समय सबसे ज्यादा होता है। यही नहीं गर्मी की तुलना में सर्दी के मौसम में ऑथराइटिस मरीजों की परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है।

ऐसे करें बचाव
एम्स की रिमोट्यॉड ऑथराइटिस विभाग की प्रमुख डॉ.उमा कुमार ने बताया कि शुरुआती दौर में ही खून में रिमोट्यॉड फैक्टर (आरएफ) और एंटी सिट्रूलिनेट प्रोटिन एंटीबॉडीटेस्ट (एवीपीए) कर बीमारी का पता लगाया जा सकता है और बीमारी होने से पहले ही उस पर काबू पाया जा सकता है।

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