हेल्थ डेस्क: 42 साल तक कोमा में रहने के बाद अरुणा शानबाग की 18 मई 2015 में मौंत हो गई थी। वह 1973 में मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में रेप की शिकार हुई थीं। जिसके लिए इच्छा या दया मृत्यु देने की मांग जर्नलिस्ट वीरानी ने की थी। जिसकी मांग को पिटीशन सुप्रीमकोर्ट से मार्च 2011 में ठुकरा दी थी। जानिए कौन है अरुणा शानबाग और क्या थी बीमारी जिसकी वजह से 42 साल रही कोमा में।
अरुणा शानबाग कौन है
मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) हॉस्पिटल में दवाई का कुत्तों पर एक्सपेरिमेंट करने का डिपार्टमेंट था। इसमें नर्स कुत्तों को दवाई देती थीं। उन्हीं में से एक थीं अरुणा शानबाग। 27 नवंबर 1973 को अरुणा ने ड्यूटी पूरी की और घर जाने से पहले कपड़े बदलने के लिए बेसमेंट में गईं। जहां पहले से ही वार्ड ब्वॉय सोहनलाल छिपा बैठा था। उसने अरुणा के गले में कुत्ते बांधने वाली चेन लपेटकर दबाने लगा। छूटने के लिए अरुणा ने खूब ताकत लगाई। पर गले की नसें दबने से बेहोश हो गईं। अरुणा कोमा में चली गईं और कभी ठीक नहीं हो सकीं।
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने बदला था मुकदमा
अरुणा वह निमोनिया से पीड़ित थी। उन्हें लकवा मार गया था, साथ ही उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई थी। 24 जनवरी 2011 को घटना के 27 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की दोस्त पिंकी बिरमानी की ओर से यूथेनेशिया के लिए दायर याचिका पर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अरुणा की इच्छा मृत्यु की अर्जी मंजूर करते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया था। हालांकि 7 मार्च 2011 को कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया था।
सोहन लाल अब जी रहा था नार्मल लाइफ
वहीं वार्ड ब्वॉय सोहनलाल पर हत्या के प्रयास और रेप का मुकदमा चला लेकिन रेप का आरोप साबित नहीं हो सका। हत्या करने के प्रयास में सोहनलाल को 7 साल की सजा हुई जिसे काटकर वो आम जिंदगी जीने लगा लेकिन उस घटना के बाद से अरुणा मरते दम तक लगभग 4 दशक तक कोमा में रहीं और साल 2015 में 68 साल की उम्र में अरुणा शानबाग की मौत हो गई।
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