आपका मिजाज दिन भर कैसा रहता है, इसका सीधा संबंध आपके खाने से है। आप दुखी महसूस कर रहे हों या परेशान हो। लेकिन इस सबसे निजात दिलाने का मंत्र आपके किचन में छिपा है जहां ब्रोकली और मशरूम जैसी खुशनुमा सब्जियां बनती हैं।
डॉक्टरों की मानें तो तो शारीरिक एवं मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखने के लिए 'जैसा खाए अन्न, वैसा होए मन' मंत्र पर चलना चाहिए। कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सा समुदाय 'पोषण संबंधी मनोचिकित्सा' का प्रयोग बढ़ा रहा है।
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'विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस' के मौके पर कई चिकित्सा परामर्शदाताओं एवं शोधकर्ताओं ने कहा कि 'हैप्पी डाइट' लेने से अवसाद, बेचैनी, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) और अन्य चिकित्सीय बीमारियों से बचाने और उनके इलाज में कारगर हो सकता है।
हर साल 10 अक्टूबर को 'विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता है। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति सिंह के मुताबिक पोषण संबंधी मनोरोग के क्षेत्र में शोध ने दिखाया है कि सूक्ष्म पोषक तत्वों को अनुकूल विधि से काम में लाने से मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है और उनका इलाज किया जा सकता है।
गुड़गांव के पारस अस्पताल की डॉक्टर ने कहा, 'खराब पोषण मानसिक रोग होने का बड़ा कारण है।'
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उन्होंने बताया कि 'हैप्पी डाइट' में गोभी, पत्तागोभी, पालक जैसी हरी सब्जियों के अलावा ब्रोकली, मशरूम, लाल/ पीली शिमला मिर्च, प्याज, ओरिगेनो और विटामिन युक्त फल जैसे बैरी, सेब, संतरा, आड़ू और नाशपाती शामिल होता है। वहीं प्रोटीन के लिए अंडा, चीज, चिकन, मछली लिया जा सकता है जबकि सूक्ष्म पोषक तत्वों में बादाम-पिस्ता आदि आते हैं।
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