हेल्थ डेस्क: टीबी यानि क्षय रोग से देश के लाखों लोग हर साल मर जाते हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस बीमारी का इलाज होते हुए भी हर सालों लाखों लोग इसका शिकार हो जाते हैं। आजादी के इतने साल भी अभी तक भारत को टीबी मुक्त नहीं करवाया जा सका है।
आज टीबी दिवस के मौके पर मंत्रालय द्वारा कुछ जानकारी साझा कर रहे हैं।मंत्रालय रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि पिछले तीन माह में देश में टीबी के करीब ढाई लाख मरीजों की पहचान हो चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा करीब 44 हजार मरीज उत्तर प्रदेश से हैं।
उन्होंने ये भी बताया कि करीब एक दर्जन राज्य ऐसे हैं, जहां टीबी मरीजों की संख्या सिर्फ सैकड़ों में है। इन राज्यों पर फोकस किया जा रहा है। उम्मीद है कि 2022 तक इन राज्यों में टीबी के सभी मरीजों का इलाज पूरा हो सकेगा। फिर पोलिया और ट्रेकोमा की तरह भारत टीबी पर भी जीत हासिल कर लेगा।
देश में 28 लाख मरीज
देश में टीबी से करीब 28 लाख मरीज पीड़ित हैं। इनमें से ज्यादातर का इलाज किया जा रहा है। वहीं हर दिन चार से छह हजार नए केस मिल रहे हैं। इनसे साबित होता है कि टीबी की स्क्रीनिंग का काम जमीनी स्तर पर काफी बेहतर चल रहा है। हालांकि अब भी यह बीमारी हर साल चार लाख लोगों की जान ले लेती है।
नई दवाओं ने टीबी मरीजों को दी जिंदगी
एक अधिकारी ने बताया कि टीबी के फस्र्ट लाइन मेडिसिन कोर्स के नाकामयाबी के बाद सेकेंड लाइन ड्रग्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह इलाज नए सिरे से मरीज को करीब दो वर्ष तक मिलता है।
इस इलाज के बाद भी टीबी के जीवाणु खत्म नहीं होते हैं तो मरीज को एक्सटेंसिव ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) का उपचार दिया जाता है। इसी के लिए सरकार ने नई दवाओं को शुरू किया है, जिसका अच्छा असर देखने को मिल रहा है। इनका नाम बेडगुइलाइन और डेलामौनिड है।
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