नई दिल्ली: भारत में शहरी महिलाओं को इन दिनों दिल के रोगों का गंभीर खतरा है। इसके कारणों में अत्यधिक ट्रांस फैट, चीनी और नमक वाला आहार लेना, बहुत कम शारीरिक व्यायाम, बढ़ता तनाव, शराब और सिगरेट जैसे हानिकारक पदार्थों की लत सहित अन्य कई चीजें शामिल हैं।
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दिल के रोगों का खतरा सबसे ज्यादा 35 से 44 साल की उम्र की महिलाओं को है। इन रोगों का खतरा घरेलू महिलाओं को भी उतना ही है, जितना कामकाजी महिलाओं को है। इन रोगों के खतरे में लो एचडीएल और हाई बीएमआई दो ऐसे बेहद आम कारण है, जो महिलाओं में दिल के रोगों का खतरा 35 साल की छोटी उम्र में भी बढ़ा देते ह
इस बारे में आईएमए के नवनिर्वाचित अध्यक्ष एवं एचसीएफआई के अध्यक्ष डॉ के.के. अग्रवाल ने बताया, "पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दिल के रोगों की मौजूदगी ही इसके पता चलने को और मुश्किल कर देती है।
उदाहरण के लिए महिलाओं में यह रोग पुरुषों के मुकाबले 10 साल देर से आता है और इसमें खतरा ज्यादा होता है। महिलाओं में दिल के रोग के दौरान आम तौर पर होने वाला आम सीने का दर्द भी बहुत कम होता है और ट्रेडमिल टैस्ट में भी उच्चस्तर का पॉजिटिव रेट गलत हो सकता है। महिलाओं के लक्षण भी पुरुषों से भिन्न होते हैं।"
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं में अक्सर शुरुआत में दिल का दौरा पड़ने जैसे स्पष्ट संकेत मिलने के बजाए सीने का दर्द होता है। बहुत सारे मामलों में औरतों को पड़ने वाला दिल का दौरा भी नजरअंदाज हो जाता है। छोटी नाड़ी का रोग भी आम तौर पर महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है।
डॉ. अग्रवाल के अनुसार, महिलाओं में दिल के रोग होने के स्थापित कारणों में पहले कभी दिल में ब्लॉकेज होना, उम्र 55 साल से ज्यादा होना, हाई एलडीए यानि बैड कोलेस्टरॉल और लो एचडीएल यानि गुड कोलेस्टरॉल, डायबिटीज, धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, पेरिफेरल धमनी रोग या परिवार में पहले से किसी को दिल का रोग होना शामिल है।
महिलाओं में जो कारण पुरुषों के मुकाबले ज्यादा प्रभावी होते हैं, उनमें नियमित तौर पर तंबाकू का सेवन प्रमुख है, क्योंकि महिलाओं में 50 प्रतिशत रक्त धमनी रोग इसी की वजह से पैदा होते हैं, इसके साथ ही मोटापा और डायबिटीज भी शामिल हैं।
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