हेल्थ डेस्क: कहा जाता है कि किसी के दिमाग में कब क्या चल जाएं, समझ नहीं सकते हैं। वह कब बदल जाएं इस बात को तो समझना मुश्किल ही हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहे कि आप अपने मोबाइल में जो मैसेज करते है उससे आपका दिमाग बदल सकता है। तो आप कहेंगे ऐसा नहीं हो सकता है, लेकिन एक शोध में ये बाद सामने आई कि टेक्स्ट आपकी दिमाग की तरंगो को बदल सकता हैं।
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एक नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है। स्टडी में यह दावा किया गया है कि टेक्सट मैसेज में इतनी ताकत होती है कि वह ब्रेन की तरंगों को बदल सकता है। इस बारें में शोधकर्ताओं का कहना है कि लोगों के बीच टेक्स्ट से बात करने की आदत बढ रही हैं। इसके लिए हम लोगों ने यह शोध 129 लोगों पर किया। जिसमें ये बात सामने आई कि यनिक टेस्टिंग रिद्म की आदत मैसेज भेजने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले हर पांच में से एक व्यक्ति में पाई जाती हैं।
यह रिसर्च अमेरिका के मेयो क्लीनिक में की गई। इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने लोगों से उनकी मैसेज की आदत, अंगुलियों की स्पीड, अंटेशन आदि के बारें में पूछा। जब शोधकर्ताओं ने मैसेज करते समय इन लोगों के दिमाग की लय और पहले की लय में अधिक अंतर देखा। जो कि दिमाग की सक्रियता की वजह से था।
इस शोध से ऐसा कोई बायोलोजिकल कारण नहीं मिला कि वह लोग मैसेज न करें। शोधकर्ता टोटन का कहना है कि इस शोध से जो निष्कर्ष निकला है। उसके अनुसार मैसेज इंसान के दिमाग की तरगों को आसानी से बदल सकता हैं।
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