नई दिल्ली: किशोरावस्था में लड़कियों को कई तरह की समस्याओं से गुजरना होता है, उनकी समस्याओं को लोग आसानी से समझ भी नहीं पाते। मध्यप्रदेश की राजधानी में शुक्रवार को आयोजित कार्यशाला में किशोरियों ने अपनी समस्याएं साझा की। बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ और अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान ने यहां राज्य किशोरावस्था संचार नीति को विकसित करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें हिस्सा लेने पहुंचीं सुदूर आदिवासी अंचल झाबुआ की शांता, सूरता और कमलेश ने एक सामूहिक गीत प्रस्तुत करने के साथ अपनी समस्याओं को साझा किया।
इस मौके पर महिला बाल विकास विभाग के मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया ने कहा कि किशोरावस्था पर केंद्रित नीति आवश्यक है, साथ उन्होंने किशोरावस्था के लिए संचालित उदिता कार्नर और किशोरी शक्ति योजना की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने किसी भी नीति को बनाने से पहले सामाजिक दृष्टिकोण को देखने और किशोरों को मुख्यधारा से जोड़ने पर बल दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के निर्देशक अखिलेश अर्गल ने अपने संस्थान के विभिन्न आयाम और कार्यो का ब्यौरा दिया। वहीं यूनिसेफ के प्रमुख माइकल जुमा ने कहा कि किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जो बचपन एवं वयस्क से अलग है। यह खुशी की बात है कि राज्य के सभी विभाग मिलकर संचार नीति पर कार्य कर रहे हैं।(लगातर 3 दिन डाइट में शामिल करें ये चीजें और करें नेचुरल तरीके से 5 किलो वजन कम)
इस मौके पर यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने संचार नीति के मुख्य बिंदु, किशोरावस्था पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई। वहीं विकास संचार विशेषज्ञ संजय सिंह ने सामाजिक और व्यावहारिक बदलाव की चर्चा की। इस मौके पर एम.एम. उपाध्याय, डॉ. कनिका शर्मा सहित विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।(स्टडी में हुआ खुलासा, भारत में 1990 से अभी तक 50 प्रतिशत डायबिटीज और दिल के रोगियों में बढ़ोत्तरी)
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