हेल्थ डेस्क: कैंसर रोगियों के शारीरिक, भावनात्मक और जीवन के समस्त गुणवत्ता स्तर का मूल्यांकन करने में पारंपरिक भावनात्मक तराजू या तुलना के बजाय इमोजी का इस्तेमाल करने से अधिक मदद मिल सकती है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है।
अमेरिका के मायो क्लीनिक में हेमेटोलॉजिस्ट, कैरी थॉम्पसन ने कहा, ‘‘कैंसर रोगियों की चिकित्सकीय देखभाल बड़ी जटिल होती है जिसमें सर्जरी, कीमोथैरेपी और कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनके शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक और आध्यात्मिक परिणाम हो सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।’’
प्रमुख अनुसंधानकर्ता थॉम्पसन ने कहा, ‘‘जीवन की गुणवत्ता के ये कारक सर्वश्रेष्ठ उपचार तरीकों को समझने और जीवन की संभावना का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’’
किसी रोगी के जीवन की गुणवत्ता और उसके प्रदर्शन की स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि इसमें लंबी प्रश्नावलियों को पूरा करने जैसा जटिल काम शामिल होता है और रोगियों के लिए यह बोझिल हो सकता है एवं इसके उत्तर गलत हो सकते हैं।
इस अध्ययन में लिंफोमा और मल्टिपल मायलोमा के 115 रोगियों को एप्पल वाच दी गयी और पंजीकरण के समय एक अध्ययन वाला एप डाउनलोड करके दिया गया।
अनुसंधानकर्ताओं ने आधारभूत आंकड़े एकत्रित किये जिनमें शारीरिक क्रियाकलाप, बेहोश होने, शयन करने, सामाजिक भूमिका और जीवन की गुणवत्ता से संबंधित सवाल थे।
इसके साथ अनुसंधानकर्ताओं ने जीवन की गुणवत्ता को मापने के लिए दो इलेक्ट्रॉनिक इमोजी स्केल (तराजू) तैयार किये।
थॉम्पसन ने कहा, ‘‘इमोजी संवाद के लोकप्रिय और सार्वभौमिक तरीकों में शामिल हैं और विविध प्रकार की आबादी इन्हें समझ सकती है जिनमें सेहत संबंधी कम जानकारी रखने वाले लोग भी शामिल हैं।’’
शोधकर्ताओं ने रोगियों से जुड़े आंकड़ों और उनकी गतिविधियों के डेटा के बीच कड़ियों का अध्ययन किया और पाया कि रोगियों द्वारा इमोजी के रूप में दिये गये जवाब रोगियों से जुड़े मानक परिणामों से महत्वपूर्ण तरीके से जुड़े होते हैं।
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