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स्टेम कोशिका आधारित उपचार से कम हो सकता है Blindness का खतरा!

भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक की अगुवाई वाली टीम ने दृष्टिहीनता के कारक के उपचार के लिए मूल कोशिका पर आधारित रेटिनल कोशिका के निर्माण की दिशा में प्रगति की है।

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हेल्थ डेस्क: भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक की अगुवाई वाली टीम ने दृष्टिहीनता के कारक के उपचार के लिए मूल कोशिका पर आधारित रेटिनल कोशिका के निर्माण की दिशा में प्रगति की है।

अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट (एनईआई) के वैज्ञानिकों के अनुसार आंख के पिछले हिस्सों में कोशिकाओं की परत प्रकाश की पहचान करने वाले रेटीना के फोटोरिसेप्टर के बने रहने के लिए आवश्यक होता है।

इस खोज से जियोग्रॉफिक एट्रॉफी या ऐज-रिलेटेड मैकुलर डिजिनरेशन (एएमडी) के मरीजों में मूल कोशिका यानी स्टेम सेल पर आधारित रेटिनल पिग्मेंट इपिथेलियम (आरपीई) के प्रतिरोपण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

‘सेल रिपोर्ट्स’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की अगुवाई करने वाले कपिल भारती ने कहा, ‘‘हम इस बात को बेहतर तरीके से समझ रहे हैं कि आरपीई कोशिकाओं का निर्माण कैसे होता है और उन्हें कैसे बदला जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि एएमडी में इस तरह की कोशिका सबसे पहले काम करना बंद कर देती है।’’

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