हेल्थ डेस्क: भारत के एक तिहाई लोग तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं।अगर आप के आस पास भी ऐसा व्यक्ति हो जो धूम्रपान का सेवन करता हो और उसे ये तकलीफे हो फेफड़ों में लंबे समय तक सूजन का रहना और लगातार बलगम वाली खांसी आती हो तो जांच कराएं, यह इम्फीसेमा रोग का लक्षण भी हो सकता है।
इस बीमारी का प्रमुख कारण धूम्रपान माना जाता है।शहरी क्षेत्रों में सिगरेट और चबाने वाला तंबाकू आम बात है तो ग्रामीण क्षेत्रों में बीड़ी, हुक्का और चिलम काफी मात्रा में प्रयोग की जाती है।
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जो लोग धूम्रपान या तंबाकू का सेवन नहीं भी करते हैं, उनमें भी यह बीमारी पाई जाती है। उनके मामले में अल्फा 1 एंटीट्राइस्पिन नामक प्रोटीन की कमी की वजह से एम्फीसेमा हो सकता है। इसके अलावा फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों के संपर्क में आना, वायु प्रदूषण से सांस पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव और उचित हवादार माहौल न होना फेफड़ों की सेहत पर असर डाल सकता हैं।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एस.एस. अग्रवाल और आईएमए के ऑनरेरी सेक्रेटरी जनरल और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, "हम लोगों को अपनी जीवनशैली बदलने की सलाह देते हैं। फेफड़ों को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए सबसे पहले धूम्रपान छोड़ दें। ताकत और ऊर्जा विकसित करने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करना शुरू करें।
उन्होंने कहा कि अपने आसपास के माहौल को साफ सुथरा, खुला और हवादार रखना चाहिए। अंगीठी और अन्य जगहें जहां पर अत्यधिक प्रदूषण होता है वहां जाने से बचें, क्योंकि वहां का माहौल सांस की समस्या पैदा कर सकता है। इससे बचने के लिए आप स्वस्थ आहार लें और बीमारियों से युक्त जीवन जिएं।
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