हेल्थ डेस्क: प्रोस्टेट कैंसर हो या किसी भी तरह का कैंसर हो इसका पता शुरुआत में नहीं चलता और जब तक जब पता चलता है काफी देर हो जाती है। आज हम बात करेंगे प्रोस्टेट कैंसर की। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके शुरुआती लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं लेकिन हम इसे अक्सर इग्नोर कर देते हैं।
अगर आपको नीचे बताए गए लक्षण नजर आ जाएं तो बिल्कुल भी इग्नोर न करें, वरना जिंदगी बर्बाद हो जाएगी, यकीं नहीं आता तो जानिए कैसे। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर की आशंका बढ़ गई है। इस बीमारी के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसके होने पर अधिकतर मरीज को दर्द नहीं होता।
इस स्थिति में 45-50 साल की उम्र पर हर व्यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर की एक बार जांच करानी चाहिए। लापरवाही बरतने पर खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति में इलाज लंबा चलता है। खर्चे के साथ दूसरी दिक्कते बढ़ती हैं। जानलेवा भी हो सकता है। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यदि इसका जल्दी पता चल जाए तो इसे निश्चित रूप से ठीक किया जा सकता है।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट एक ग्रंथि होती है। यह वो द्रव्य (फ्लूड) बनाती है, जिसमें शुक्राणु (स्पर्म) होते हैं। प्रोस्टेट मूत्राशय के नीचे स्थित होता है। जन्म के साथ ही यह ग्रंथि बनती है। प्रोस्टेट कैंसर वहीं होता है। उम्र के साथ इसका साइज और कैंसर की आशंका बढ़ती है। साइज तो सबका बढ़ेगा, लेकिन कैंसर सभी को होगा, ऐसा नहीं होता। पीजीआई की एक ओपीडी में 15 से 20 मरीज आते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रोस्टेट कैंसर कितनी तेजी से बढ़ रहा है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
बार-बार पेशाब आना, विशेष तौर पर रात में। पेशाब रुक कर आना या इंफेक्शन होना। पेशाब करते वक्त दर्द व जलन होना। पेशाब या सीमन में खून आना। कूल्हे, जांघ की हड्डियां और पीठ में लगातार दर्द होना। सेक्स के दौरान खून आना।
ये होते हैं कारण
बढ़ती उम्र। विटामिंस की कमी। ज्यादा रेड मीट खाना। फैटी डाइट का खाना। मॉडर्न लाइफ स्टाइल। तय मानक से ज्यादा वजन। परिवार के किसी सदस्य को हुआ हो।
ऐसे पता कर सकते हैं
प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) का टेस्ट होता है। यह शरीर का एक रसायन है। इसका लेवल बढ़ने पर प्रोस्टेट कैंसर की आशंका रहती है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड और रेक्टल परीक्षण के आधार पर भी इसकी जांच की जाती है। प्रोस्टेट की बायोप्सी से इसे कंफर्म किया जाता है। कभी-कभी बोन स्कैन और एमआरआई की भी जरूरत पड़ती है।
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