अगले हफ्ते उनको फोन का यूज कम से कम करने के लिए कहा गया। इसके लिए उन्होंने अपने फोन के अलर्ट ऑफ कर दिए और जितना संभव हो सका, उसे अपने से दूर ही रखा। पहले और दूसरे, दोनों सप्ताह के बाद उनकी इनअटेंशन और हाइपरऐक्टिविटी का अंदाजा लगाने के लिए उनसे एक प्रश्नावली भरवाई गई। रिजल्ट्स के मुताबिक जिस सप्ताह में फोन के अलर्ट ऑन थे, उस सप्ताह के बाद प्रतिभागियों में इनअटेंशन और हाइपरऐक्टिविटी का लेवल काफी ज्यादा था।
निष्कर्ष तो यहां तक कहते हैं कि जिनमें ADHD के लक्षण नहीं पाए गए, उनको डिस्ट्रैक्शन, फोकस की समस्या, जल्दी बोर हो जाना, बेचैनी, स्थिर होकर बैठने में दिक्कत, छोटे-मोटे काम करने में समस्या जैसे डिसऑर्डर्स का सामना करना पड़ सकता है। कुश्लेव कहते हैं कि स्मार्टफोन डिस्ट्रैक्शन का आसान सोर्स होने की वजह से इन लक्षणों को और बढ़ा सकते हैं।
हालांकि, इस पूरे अध्ययन में एक राहत की बात यह है कि फोन से दूरी बनाकर इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। कैलिफॉर्निया के सैन जोस में असोसिएशन फॉर कम्प्यूटिंग मशीनरी की 'द ह्यूमन-कम्प्यूटर इंटरैक्शन कॉन्फ्रेंस' के दौरान इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए।
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