Image Source : ptibrain tumor
मुंबई के वोकहार्ट हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिरीष हस्तक बताते हैं कि सेलफोन से होने वाले विकिरण एवं कुछ रसायनों के बहुत अधिक संपर्क में रहने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता है। उन्होंने कहा कि आरंभिक शोधों से पता चलता है कि सेल फोन से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी ऊर्जा ब्रेन ट्यूमर पैदा कर सकती है, हालांकि इस बारे में जो निष्कर्ष निकले हैं, उनकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है। डॉ. हस्तक के मुताबिक, कार्सिनोजेनिक किस्म के रसायनों के संपर्क में रहने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता है। जो लोग आइयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं, उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक होता है।
डॉ. रोहित बंसिल के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर होने पर मस्तिष्क के उस क्षेत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे वहां की कार्य प्रक्रिया में बाधा पड़ती है। अगर किसी को उल्टी के साथ सिरदर्द, चक्कर आना/मूर्छा/बेहोशी/मिर्गी, शरीर के अंगों में असामान्य सनसनाहट, लड़खड़ाहट के साथ चलना या असंतुलन (एटैक्सिया), धुंधला दिखना या ²ष्टि में कमी, बोलने में कठिनाई, व्यवहार में परिवर्तन, अंगों की कमजोरी, थकावट, भ्रम, एकाग्रता में कमी जैसे लक्षण हो रहे हों तो न्यूरो विषेशज्ञ से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं।
मेट्रो मल्टी स्पेशियलिटी हास्पीटल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सोनिया लाल गुप्ता के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं- बिनाइन (बिना कैंसर वाले) या मेलिग्नेंट (कैंसर वाले)। बिनाइन ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी भी शरीर के दूसरे भाग में नहीं फैलता है, जबकि मेंलिंगनेंट ट्यूमर कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं, जो बहुत तेजी से और आक्रामक तरीके से बढ़ते हैं। कैंसर वाले ट्यूमर मस्तिष्क के आसपास के हिस्से को भेदते हुए कई बार मस्तिष्क के दूसरे हिस्से या रीढ़ में भी फैल जाते हैं।
Latest Lifestyle News