आखिर क्या है नाड़ी विज्ञान?, साथ ही जानें नाड़ी कैसे खोलती है आपके सेहत हा राज़
नाड़ी विज्ञान का अपना खासा महत्व है और इसके संबंध में आम आदमी भी बहुत कुछ जानना चाहता है। आज भी कई वैद नाड़ी देखर रोगों के बारें में पता करते है। आज भी इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको बताने जा रहे हैं।
नई दिल्ली: पुराने जमाने की बात करें तो उस समय वैद नाड़ी देखकर रोगों की पहचान कर लेते था। जिसका इलाज आसानी से हो जाता था। प्राचीन काल में तो ऐसे भी वैद के जानकार हुए जो नाड़ी देखकर व्यक्ति के शरीर का हाल बता देते थे और गंभीर से गंभीर रोग की पहचान नाड़ी देखकर कर लेते थे। आज के समय विज्ञान प्रगति कर गया है और व्यक्ति के शरीर से जुड़ी कई सूक्ष्म बातों का ज्ञान कई अन्य परीक्षणों के तहत भी किया जाने लगा है लेकिन इन सब बातों के बावजूद नाड़ी विज्ञान का अपना खासा महत्व है और इसके संबंध में आम आदमी भी बहुत कुछ जानना चाहता है। आज भी कई वैद नाड़ी देखर रोगों के बारें में पता करते है। आज भी इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको बताने जा रहे हैं।
जानिए स्त्री-पुरुष का कौन सा हाथ की देखी जाती है नाड़ी
स्त्री और पुरुष दोनों के हाथों की नाड़ियां अलग-अलग देखी जाती है। वैद पुरुष के दाहिने हाथ की नाड़ी देखकर और स्त्री के बाएं हाथ की नाड़ी देखकर रोग की पहचान करते हैं। हालांकि कुछ वैद पुरुष स्त्री के दोनों हाथ की नाड़ी भी देखकर रोगों का ज्ञान प्राप्त करते हैं। (बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन से चाहिए हमेशा के लिए निजात तो अपनाएं ये उपाय, तुंरत मिलेगा फायदा )
कब देखनी चाहिए नाड़ी
किसी व्यक्ति को कौन सा रोग है यह जानने के लिए सबसे सही समय सुबह माना जाता है और इस समय रोगी को खाली पेट रहकर ही वैद के पास जाना होता है। यानी की किसी भी समय खाली पेट जाकर आपक नाड़ी देखा कर अपने रोगों के बारें में जान सकते है।
सुबह के समय ही क्यों माना जाता है उत्तम?
नाड़ी सुबह के समय देखना अधिक उचित इसलिए रहता है क्योंकि यही वह समय होता है जब मानव शरीर की वात,पित और कफ तीनों की नाड़ियां सामान्य रुप मे चलती हैं। गौरतलब है कि जब भी हमारे शरीर में त्रिधातुओं का अनुपात अंसतुलित हो जाता है तो मानव शरीर रोगग्रस्त हो जाता है। हमारे शरीर में वात,कफ और पित्त त्रिधातु पाई जाती है, इनके अनुपात में असंतुलन आने पर ही शरीर स्वस्थ नहीं रहता है। (हुआ खुलासा, आखिर क्यों लगती है भूख?)
जानिए कहां कौन सी होती है नाड़ी
- कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियां रखी जाती है
- वात नाड़ी: अंगूठे की जड़ में
- पित्त नाड़ी: दूसरी उंगली के नीचे
- कफ नाड़ी: तीसरी उंगली के नीचे
जानिए नाड़ी से किस-किस रोग का चलता है पता
- मानसिक रोग, टेंशन, भय, गुस्सा, प्यास लगने के समय नाड़ी की गति काफी तेज और गर्म चाल से चलती है।
- कसरत और मेहनत वाले काम के समय भी इसकी गति काफी तेज होती है।
- गर्भवती स्त्री की नाड़ी भी तेज चलती है। (रोजाना जामुन खाने से मिलेंगे बेहतरीन फायदे, लेकिन इस समय न करें भूलकर भी सेवन )
- किसी व्यक्ति की नाड़ी अगर रुक रुक कर चल रही हो तो उसे असाध्य रोग होने की संभावना अधिक रहती है।
- क्षय रोगों में नाड़ी की गति मस्त चाल वाली होती है। जबकि अतिसार में यह काफी स्लो गति से चलती है।
- ये भूख-प्यास, नींद, धुप में घुमने, रात्री में टहलने से, मानसिक स्थिति से, भोजन से, दिन के अलग अलग समय और मौसम से बदलती है।
- मृत्यु नाडी से कुशल वैद्य भावी मृत्यु के बारे में भी बता सकते है।
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