deepanjali dalmia
नौकरी छोड़ शुरु किया ये काम
आपको बता दें कि दीपांजलि मैनहटन में फाइनेंशियन कंसल्टेंट के तौर पर नौकरी कर रही थी, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ समाज के लिए कुछ करने का फैसला किया। इसी कारण वह 2015 में भारत वापस आ गई। लगातार 3 माह रिसर्च की।
रिसर्च में ये बात आई सामने
दीपांजलि डालमिया ने रिसर्च में पाया कि भारत में करीब 87 फीसदी महिलाएं सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल नहीं करती है और जो करती है, उन्हें भी प्लास्टिक-सिंथेटिक से सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा होता है। इसलिए इन्होंने शुरु किया नेचुरल तरीके से सैनिटरी नैपकीन बनाना शुरु।
मार्केट में मिलने वाले सैनिटरी नैपकीन है खतरनाक
दीपांजली ने बताया कि आपको जानकर हैरानी होगी कि आप जो सैनेटरी नैपकीन इस्तेमाल करती हैं। वह 90 प्रतिशत प्लास्टिक का बना होता है। जब आप पीरियड्स के समय इसे लगाते है तो आपकी वैजाइना को ये ब्लॉक कर देता है। वहीं जो 10 प्रतिशत बचते है तो इस पैड में केमिकल्स, परफ्यूम का यूज किया जाता है। जो कि आपको हार्मोनल समस्या उत्पन्न कर सकती है। जिनसे गर्भाशय का कैंसर, ईस्ट इंफेक्शन, रैशेज, एलर्जी और स्किन सेंसटिव के साथ-साथ गर्भपात और बच्चें को हेल्थ संबंधी समस्या हो सकती है।
अगली स्लाइड में और पढ़े दींपाजली ने किस पौधे से बनाया सैनिटरी नैपकीन
Latest Lifestyle News