OMG! साल 2050 कर भारत में अल्जाइमर्स मरीजों की संख्या हो जाएगी तीन गुनी, 300 मिलियन होगें इसका शिकार
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अल्जाइमर्स के मरीजों का इलाज संगीत के साथ किया जाना चाहिए ताकि उनकी चिंता को कम किया जा सके। संगीत मस्तिष्क के उस लचीले नेटवर्क को प्रभावित कर सकता है, जो अभी भी अपेक्षाकृत काम कर रहा होता है। अल्जाइमर्स रोग के वैकल्पिक उपचारों के बारे में जागरूकता पैदा करने का समय आ गया है।
हेल्थ डेस्क: भारत में बुजुर्गों की आबादी लगातार बढ़ रही है, जिनमें से 16 लाख लोग अल्जाइमर्स रोग से पीड़ित हैं। यह संख्या वर्ष 2050 तक तीन गुना हो तक सकती है। उटाह हेल्थ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अल्जाइमर्स के मरीजों का इलाज संगीत के साथ किया जाना चाहिए ताकि उनकी चिंता को कम किया जा सके। संगीत मस्तिष्क के उस लचीले नेटवर्क को प्रभावित कर सकता है, जो अभी भी अपेक्षाकृत काम कर रहा होता है। अल्जाइमर्स रोग के वैकल्पिक उपचारों के बारे में जागरूकता पैदा करने का समय आ गया है।
शोधकर्ताओं ने कहा, "संगीत मस्तिष्क को सक्रिय करता है, जिससे उसके सभी रीजन आपस में संवाद कर सकते हैं। व्यक्तिगत साउंडट्रैक को सुनकर, विजुअल नेटवर्क, लचीला नेटवर्क, कार्यकारी नेटवर्क और सेरिबेलर तथा कॉर्टिकोसेरेबेलर नेटवर्क आपस में जुड़ जाते हैं, जिससे दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।"
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "अल्जाइमर्स रोग में बातें याद नहीं रह पाती हैं और दिमाग में अन्य कई तरह के नुकसान होने से सोचने-समझने के बाकी कार्यों में भी बाधा उत्पन्न होती है। इससे कई लोगों में चिंता और विचलन की स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में संगीत सुनना फायदेमंद साबित हो सकता है।"
अल्जाइमर में मदद कर सकता है संगीत
उन्होंने कहा, "संगीत तनाव से छुटकारा दिला सकता है, चिंता और अवसाद को कम कर सकता है और चिड़चिड़ेपन को कम कर सकता है। अल्जाइमर्स रोगियों की स्मृति को बेहतर करते हुए, संगीत उनकी चिंता और परेशानी को कम करके, मरीज की देखभाल करने वालों को भी लाभ पहुंचा सकता है। यह मूड को हल्का करने में मदद करता है और अल्जाइमर्स रोग से पीड़ित अपने निकट संबंधी से जुड़ने का एक तरीका प्रदान करता है। संगीत एक एंकर की तरह है, जो रोगी को वास्तविकता से जोड़ता है।"
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि आप नियमित रूप से मानसिक सक्रियता वाली गतिविधियों में शामिल हों, ताकि मस्तिष्क कोशिकाओं को निरंतर सक्रिय और ऊजार्पूर्ण रहने का मौका मिल सके। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो 40 साल की उम्र को पार कर चुके हैं।"
उन्होंने कहा, "मस्तिष्क को सक्रिय रखने वाले हल्के फुल्के कार्य जैसे क्रॉसवर्ड पहेली हल करना, प्रश्नोत्तरी में भाग लेना, किताब पढ़ना या अपनी दिलचस्पी का कोई अन्य क्रिया कलाप करना सहायक हो सकता है। वृद्ध व्यक्तियों को यह सलाह दी जाती है कि वे सामाजिक कार्यों और अभ्यास के माध्यम से अपने मन को व्यस्त रखें।"
ऐसे रखें खुद को ख्याल
डॉ. अग्रवाल ने रोगियों को सुझाव देते हुए कहा, "अपना वजन स्वस्थ बनाए रखें। अपनी कमर की चौड़ाई को जांचते रहें। हरी, विटामिन से भरपूर सब्जियों और फलों पर जोर दें। साबुत अनाज, मछली, चिकन, टोफू और सेम व अन्य फलियांे को प्रोटीन के स्रोत व अच्छे वसा के लिए के रूप में ग्रहण करें। नियमित रूप से व्यायाम करें।"
उन्होंने कहा, "सप्ताह में कम से कम ढाई से पांच घंटे तक तेज-तेज कदमों से टहलें (4 मील प्रति घंटे की रफ्तार से)। समय कम हो तो जॉगिंग (6 मील प्रति घंटे की गति से) की जा सकती है। स्वास्थ्य से जुड़े अपने आंकड़ों पर निगाह रखें। अपना वजन और कमर की चौड़ाई के अलावा, अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल, ट्राइग्लिसराइड्स, ब्लड प्रेशर और रक्त शर्करा के लेवल पर भी नजर रखें।"