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उन्होंने कहा कि लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं, जिस वजह से लोग इस पर ध्यान नहीं देते। इससे जटिलता का सामना करना पड़ सकता है और इलाज मुश्किल होता जाता है। इसका इलाज समय पर कराना जरूरी है, वरना अल्सर विकसित हो सकता है।”
वैरिकोज नसों की शुरुआत पर प्रभाव डालने वाले कुछ कारक आयु, लिंग, आनुवंशिकी, मोटापे और लंबी अवधि के लिए पैरों की स्थिति हैं। वृद्धावस्था में भी नसों में टूट फूट हो सकती है। प्रेग्नेंसी, पूर्व माहवारी और मीनोपोज़ कुछ कारक हैं जो महिलाओं में वैरिकोज नसों को प्रभावित करते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, “इस कंडीशन के बारे में कई लोगों में जागरूकता की कमी है। चिंता की बात तो यह है कि इस रोग की अनदेखी हो जाती है और लोग समय पर उपचार नहीं कराते। समय पर इलाज न होने से अल्सर, एक्जिमा और उच्च रक्त चाप हो सकता है। उपचार समय पर दिया जाना चाहिए, बशर्ते रोगी को कोई परेशानी न हो। कुछ रोगियों को पैरों की खूबसूरती के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी भी करानी पड़ सकती है।”
ऐसे बचें इस बीमारी से
- रोजाना पैदल चले जिससे कि आपके पैर में ठीक ढंग से ब्लड सर्कुलेशन होता रहे।
- जितना हो सके खुद को फिट रहें। वजन न बढ़ने दें। यह बीमारियों का सबसे बड़ा कारण होता है।
- कम से कम नमक का सेवन करें।
- हो सके तो आरामदायक कपड़ो को पहनें।
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