प्रेग्नेंसी में रहना है फिट तो रोजाना 5 से 10 मिनट तक करें ये एक्सरसाइज
हेल्दी दिमाग चाहिए तो हमें पहले अपने शरीर को हेल्दी रखना होगा। खासकर उस वक्त जब आप प्रेग्नेंसी के दौर से गुजर रहीं हो तब। जी हां कई डॉक्टरों ने भी इस बात का खुलासा किया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी डेली रूटीन में वॉक को शामिल करनी चाहिए।
नई दिल्ली: हेल्दी दिमाग चाहिए तो हमें पहले अपने शरीर को हेल्दी रखना होगा। खासकर उस वक्त जब आप प्रेग्नेंसी के दौर से गुजर रहीं हो तब। जी हां कई डॉक्टरों ने भी इस बात का खुलासा किया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी डेली रूटीन में वॉक को शामिल करनी चाहिए।
प्रेग्नेंसी में फिट रहने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना जरूरी है। रोजमर्रा के कार्य स्वयं करने के अलावा हलकी-फुलकी स्ट्रेचिंग और योग से गर्भावस्था में बड़ा लाभ होता है। दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान अपने पोस्चर का भी ध्यान रखना आवश्यक है। जानें, उन एक्सरसाइज और योग क्रियाओं के बारे में, जो प्रेग्नेंसी में सुरक्षित मानी जाती हैं।
गर्भावस्था जीवन की सहज-स्वाभाविक अवस्था है, इसलिए इस दौरान अपनी दिनचर्या को सक्रिय रखना जरूरी है। थोड़ी सावधानी बरतते हुए सभी सामान्य कार्य प्रेग्नेंसी के दौरान किए जा सकते हैं। फिट रहने के लिए अपने पोश्चर, स्लीपिंग और ईटिंग पैटर्न का ध्यान रखना जरूरी है। बेहतर है कि अपनी हर समस्या, सवाल और धारणा के लिए डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट और डाइटीशियन की सलाह लें। आजकल कई अस्पतालों में प्रेग्नेंसी वर्कशॉप्स और फिटनेस सेशन की व्यवस्था है, उनका लाभ उठाएं।
जानें, तीनों ट्राइमेस्टर्स के दौरान कैसे फिट रहें और प्रेग्नेंसी को यादगार बनाएं- यहां दिए जा रहे व्यायामों से प्रेग्नेंसी में होने वाले शारीरिक बदलावों के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी। रिलैक्सेशन टेकनीक्स, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और पोस्चरल जानकारियों से लेबर पेन को सहन करने और प्रसव को सुरक्षित बनाने में मदद मिल सकती है।
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज
जमीन पर सीधे बैठें और लंबी-गहरी सांस लें। रिलैक्स रहें।
नाक से सांस भीतर भरें और 3-5 सेकंड तक इसे होल्ड रखें। मुंह के जरिये सांस छोड़ें।
इस प्रक्रिया को 8 से 10 बार तक दोहराएं, इसके बाद ही कोई व्यायाम शुरू करें।
जब भी कभी थकान या घबराहट महसूस हो, इसी प्रक्रिया को दोहराएं।
बॉडी स्ट्रेचिंग
सीधी खड़ी हो जाएं और अपने हाथों को ऊपर की ओर ले जाते हुए सांस भीतर खींचें।
अब हाथों को नीचे करते हुए धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया को 6-7 बार तक दोहराएं।
नेक स्ट्रेचिंग
गर्दन को धीरे-धीरे दायीं ओर ले जाएं, 5-7 सेकंड रुकें और फिर वापस ले आएं।
अब गर्दन को बायीं ओर ले जाएं, कुछ सेकंड रुकें, फिर वापस सामान्य अवस्था में लौटें।
इसी तरह गर्दन को ऊपर और नीचे की ओर स्ट्रेच करें।
ध्यान दें : कंधे या गर्दन की स्थिति असामान्य न हो और उन पर बहुत दबाव न पड़े।
चेस्ट वॉल स्ट्रेचिंग
इसे उसी तरह किया जाता है, जिस तरह फर्श पर पुश अप्स किए जाते हैं।
किसी चौड़ी दीवार या दरवाजे की मदद से इसे करें। पंजों के बल दीवार के सामने खड़ी हों और अपनी दोनों हथेलियों को दीवार पर टिकाएं।
अब अपने शरीर को दीवार की ओर पुश करें। इस क्रम में कोहनियां दीवार पर टिकाएं। ध्यान रहे कि शरीर का ऊपरी हिस्सा दीवार के बिलकुल नजदीक तक पहुंचे।
कुछ देर तक इसी पोजशिन में रहें और फिर वापस सामान्य अवस्था में लौटें।
इस प्रक्रिया को 8 से 10 बार रिपीट करें।
बट ब्रिज एक्सरसाइज
यह कोर स्ट्रेचिंग है। इसके लिए जमीन पर सीधे लेटें और घुटनों को मोड़ लें।
धीरे-धीरे कमर को ऊपर की ओर ऐसे उठाएं कि शरीर एक ब्रिज जैसी पोजिशन में आए। कुछ सेकंड्स ऐसे रहें।
धीरे-धीरे सामान्य पोजिशन में लौटें।
इस प्रक्रिया को 10-15 बार तक रिपीट कर सकती हैं।
पैरों की स्ट्रेचिंग
पीठ के बल लेटें। दाहिने पैर को ऊपर की ओर 45 डिग्री का कोण बनाते हुए ले जाएं।
ध्यान रखें कि पीठ या कमर ऊपर न उठे।
बायें पैर को भी ऊपर की ओर ले जाएं, कुछ देर होल्ड करें।
इसे खड़े होकर भी कर सकते हैं। सीधे खड़े हों। अपने सामने एक स्टूल रखें और उस पर अपना एक पैर रखें। पंजों को ऊपर-नीचे स्ट्रेच करें। दूसरे पैर से भी यही करें। पैरों को उतना ही स्ट्रेच करें कि पेट पर दबाव न पड़े।
इनसे पेल्विक फ्लोर मसल्स मजबूत होती हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि प्रेग्नेंसी और प्रसव के बाद 70 प्रतिशत स्त्रियों को यूरिन कंट्रोल जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। कीगल एक्सरसाइज से यूरिनरी पर पडऩे वाला दबाव कम होता है और प्रेग्नेंसी और प्रसव के बाद यूरिन कंट्रोल में मदद मिलती है।
पीठ के बल सीधे लेट जाएं। अपने घुटनों को मोड़ लें। पंजों को एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर रखें। अब वजाइनल, यूरेथ्रल और एनल मसल्स को इस तरह सिकोड़ें जैसे यूरिन रोकते हुए करते हैं।
इस पोजशिन में लगभग 5 सेकंड्स तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं।
इस प्रक्रिया को 8 से 15 बार तक रिपीट करें। इसे दिन में 2-3 बार कर सकती हैं।
इस एक्सरसाइज की अच्छी बात यह है कि इसे कहीं भी किया जा सकता है। कुर्सी पर बैठ कर, लेट कर या खड़े होकर भी इसे कर सकती हैं।